Maharashtra: झुग्गी-झोपड़ी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए डेडलाइन जारी, लापरवाही पर लगेगा भारी जुर्माना
Mumbai News: परियोजनाओं को पूरा करने के लिए सरकार ने तीन साल की डेडलाइन दी है, ऐसा न होने की स्थिति में जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
Mumbai: उद्धव ठाकरे सरकार ने महाराष्ट्र में 500 से अधिक अटकी हुई झुग्गी पुनर्विकास परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने की योजना को मंजूरी दे दी है. सरकार ने परियोजनाओं को पूरा करने की सख्त समयसीमा तय करते हुए परियोजना के लिए नए डेवलपर्स और सह-डेवलपर्स के रूप में योजना के फाइनेंसरों को नियुक्त किया है. राज्य के आवास विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ये परियोजनाएं सालों से अटकी हुई हैं. परियोजनाओं के ठेकेदारों ने वैकल्पिक आवास के लिए पात्र झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को किराया देना भी बंद कर दिया है. 25 मई को जारी की गई अधिसूचना में आवास विभाग ने स्लम पुनर्विकास प्राधिकरण (एसआरए) को निविदा प्रक्रिया के माध्यम से चुने गए नए डेवलपर्स को ऐसी परियोजनाएं आवंटित करने की अनुमति दी. एसआरए को एक माफी योजना चलाने के लिए अधिकृत किया गया था जिसके तहत इन परियोजनाओं में निवेश करने वाले वित्तीय संस्थान उन्हें पूरा करने के लिए आगे आ सकते हैं.
40 लाख परिवारों के लिए बनने थे 20 लाख घर
बता दें कि 1995 में मनोहर जोशी के नेतृत्व वाली शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार ने सभी झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को मुफ्त घर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से SRA की स्थापना की. उस समज झुग्गियों मे रहने वाले मुंबई के तत्कालीन 40 लाख परिवारों के लिए 20 लाख घर बनाने की योजना थी. परियोजना के तहत 1995 से पहले बनी झुग्गियों की जगह पक्के मकान बनाए जाने थे.
हालांकि, इस परियोजना की कल्पना तत्कालीन सरकार ने नहीं की थी. महाराष्ट्र आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021-22 के अनुसार, SRA ने 1995 से अगस्त 2021 तक केवल 2067 परियोजनाओं को पूरा किया और 2,23,471 परिवारों का पुनर्वास किया, जो कि तत्कालीन शिवसेना-बीजेपी सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य के 5 प्रतिशत से थोड़ा अधिक था. परियोजनाओं के पूरा होने में देरी के पीछे बिल्डर और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले दोनों जिम्मेदार थे, क्योंकि दोनों पथ किसी एक बात पर सहमत नहीं थे. साल 2001 में एस. एस. तिनिकर समिति ने इन परियोजनाओं में भारी अनियमितताओं की बात कही. तत्कालीन सरकार ने समिति की रिपोर्ट को तो स्वीकार किया लेकिन उस पर अमल नहीं किया.
नए डेवलपरों को दिया गया ठेका, डेडलाइन निर्धारित की
अधिकारियों ने बताया कि कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन और विमुद्रीकरण की वजह से योजनाएं परवान नहीं चढ़ सकीं. आवास विभाग के अधिकारी ने कहा कि योजनाओं से जुए निजी डेवलपर्स पूरे तौर पर वित्तीय मदद नहीं कर रहे थे. इसलिए इनमें से बहुत सारी परियोजनाएं रुकी हुई हैं. इसको लेकर झुग्गी-झोंपड़ियों के लोगों में भारी असंतोष है. अब सरकार ने परियोनायों को पूरा करने के लिए नए डेवलपरों को नियुक्त किया है और परियोजना की डेडलाइन भी निर्धारित की है. एक औसत स्लम पुनर्विकास परियोजना को पूरा करने के लिए डेवलपर्स और वित्तीय संस्थानों के पास तीन साल का समय होगा. पहले वर्ष में डेवलपर्स को कुल काम का 33 प्रतिशत काम पूरा करना होगा, दूसरे वर्ष में 66 प्रतिषत कार्य पूरा करना होगा. निर्धारित लक्ष्य हासिल न करने पर जुर्माना लगाया जाएगा. इसके अलावा यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि परियोजना पूरी होने तक परियोजना के पात्र उम्मीदवारों को समय पर किराया मिले. यदि डेवलपर्स समय पर मकान देने में कामयाब नहीं होते हैं तो एसआर भविष्य में उनसे किसी परियोजना का प्रस्ताव स्वीकार नहीं करेगा.
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