Shiv Sena MLAs Disqualification Case: शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट के विधायकों के खिलाफ उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट की ओर से दायर अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में जानबूझकर देरी करने का सोमवार को आरोप लगाया. उन्होंने पत्रकारों से कहा कि यह निष्क्रियता दिखाती है कि नार्वेकर ‘‘असंवैधानिक’’ सरकार का समर्थन कर रहे हैं. राउत ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी राजनीतिक दल के कुछ विधायकों के दूसरे दल में जाने का मतलब विभाजन नहीं है.


क्या बोले संजय राउत?
उन्होंने कहा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बावजूद, विधानसभा अध्यक्ष अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में समय बर्बाद कर रहे हैं. वह राज्य में असंवैधानिक सरकार का समर्थन कर रहे हैं.’’ शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने मुख्यमंत्री शिंदे और कुछ कैबिनेट मंत्रियों सहित अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की थी. राउत ने कहा, ‘‘हम उच्चतम न्यायालय के सामने इन मुद्दों का जिक्र करेंगे और उम्मीद है कि हमें न्याय मिलेगा.’’


लगाये ये आरोप
राउत ने महाराष्ट्र में चीनी मिलों से संबंधित मंत्रियों और नेताओं पर भी निशाना साधा. उन्होंने दावा किया, ‘‘वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहीं कुछ चीनी मिलों को नियंत्रित करने वाले मंत्री अपनी वफादारी छोड़कर राज्य सरकार में शामिल हो गए हैं. उन्होंने केंद्रीय जांच एजेंसियों से राहत पाने के लिए ऐसा किया.’’ राज्यसभा सदस्य ने कहा कि उन्होंने इस तरह की गड़बड़ियों के बारे में केंद्रीय जांच एजेंसियों को कई बार पत्र लिखा है.


संजय राउत का दावा
राउत ने दावा किया, ‘‘राधाकृष्ण विखे पाटिल (बीजेपी से राज्य के राजस्व मंत्री) द्वारा नियंत्रित प्रवरा चीनी मिल पर 200 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप है, जबकि राहुल कुल (बीजेपी विधायक) द्वारा नियंत्रित चीनी मिल पर 500 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप है. यहां तक कि जरंदेश्वर चीनी मिल (उपमुख्यमंत्री अजित पवार से जुड़ी) का मामला भी ऐसा ही है.’’ एनसीपी के प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर की ओर से की गई देरी पर अब सवाल उठना चाहिए क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने भी शिवसेना विधायकों की अयोग्यता याचिका पर उनके द्वारा की गई देरी पर नाराजगी व्यक्त की है. उन्हें तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए और जल्द से जल्द फैसला सुनाना चाहिए.’’


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