Maharashtra News: मराठा आरक्षण कार्यकर्ता सोमवार (5 अगस्त) को धाराशिव के एक होटल में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे से मिलने के लिए पहुंचे. कार्यकर्ता यह जानना चाहते थे कि राज ठाकरे की 'अपने एजेंडे के लिए इस्तेमाल किये जाने' वाली टिप्पणी से उनका क्या मतलब था? कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि राज ठाकरे ने सोलापुर में कहा था कि मराठा आरक्षण आंदोलन के कार्यकर्ताओं को कोई उकसा रहा है. कार्यकर्ता ने कहा कि मनसे प्रमुख को स्पष्ट करना चाहिए कि वह किसका संदर्भ दे रहे थे.


एक प्रदर्शनकारी ने एबीपी माझा से कहा कि वह और अन्य कार्यकर्ता राज ठाकरे से उनके बयान के बारे में शांतिपूर्ण तरीके से पूछने के लिए होटल आये हैं और यह भी जानना चाहते हैं कि मराठा आरक्षण पर उनका और उनकी पार्टी का क्या रुख है. राज ठाकरे ने बाद में होटल के बाहर प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ताओं को उनके मुद्दे पर बात करने के लिए बुलाया.


प्रदर्शनकारियों ने किया ये दावा
राज ठाकरे से मिलने गये एक प्रदर्शनकारी ने दावा किया कि मनसे प्रमुख ने उनसे अभद्रतापूर्वक बात की. इसलिए कार्यकर्ताओं ने बातचीत में शामिल होने से इनकार कर दिया. प्रदर्शनकारी ने दावा किया कि "राज ठाकरे नीचे आए और हमसे कहा कि अगर वे उनसे बात करना चाहते हैं तो नारेबाजी बंद करें. उन्होंने अभद्रतापूर्वक बात की इसलिए अब हम उनसे नहीं मिल रहे."


राज ठाकरे ने क्या कहा?
राज ठाकरे ने सोलापुर में कहा था, "मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में एक व्यक्ति अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग), मराठा और अन्य समुदायों के विद्यार्थियों की जरूरतों की अनदेखी कर रहा है. यह स्पष्ट है कि यह राजनेता हमें धोखा दे रहा है और उसके ऐसा करने से हमें कुछ हासिल होने वाला नहीं है." 


राज ठाकरे ने कहा था, "मैं चिंता जाहिर कर रहा हूं कि कैसे जाति की राजनीति कॉलेज और स्कूल के माहौल को प्रभावित कर रही है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह प्रवृत्ति तेजी फैल रही है, क्योंकि यह लोगों के दिमाग में जहर घोल रही है. हर समुदाय के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखें जो इस तरह की विभाजनकारी गतिविधियों में शामिल हैं."


रामदास अठावले ने किया पटलवार
वहीं रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास अठावले की प्रतिक्रिया आई है. अठावले ने कहा कि "आरक्षण हमारा अधिकार है, लेकिन राज ठाकरे का यह रुख कि आरक्षण की कोई जरूरत नहीं है, बेहद गलत और निंदनीय है. तमाम दलितों और आदिवासियों की बहुजन धारणा में आरक्षण विरोधी रुख को लेकर राज ठाकरे को लेकर नाराजगी है. मराठा समाज को आरक्षण मिलना ही चाहिए. इसके लिए महाराष्ट्र सरकार को ओबीसी की दो श्रेणियां बनानी चाहिए."



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