Maharashtra News: महाराष्ट्र सरकार बृहस्पतिवार को होने वाली राज्य की कैबिनेट बैठक में मूल्य वर्धित कर (वैट) और ईंधन की कीमतों पर चर्चा कर सकती है. एक वरिष्ठ मंत्री ने बुधवार को यह जानकारी दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) ने बुधवार को विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ डिजिटल बैठक के दौरान विशेष रूप से विपक्षी दलों के शासन वाले कई राज्यों में ईंधन की ऊंची कीमतों का जिक्र करते हुए उनसे मूल्य वर्धित कर (वैट) कम करने का आग्रह किया.


वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि पेट्रोल पर वैट के मामले में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी केंद्र की तुलना में थोड़ी अधिक है, और इस मुद्दे पर कैबिनेट की बैठक में चर्चा की जाएगी. महाराष्ट्र कैबिनेट की बैठक पहले बुधवार को होनी थी, लेकिन प्रधानमंत्री के साथ मुख्यमंत्री की बैठक चलते इसे बृहस्पतिवार को करने का फैसला लिया गया. डिजिटल बैठक के बाद, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान जारी कर केंद्र और राज्य सरकार के ईंधन और मुख्य रूप से पेट्रोल और डीजल पर लगाए गए करों के हिस्से का विवरण दिया.


सीएमओ ने कहा कि मुंबई में बिकने वाले डीजल पर केंद्र को 24.38 रुपये मिलते हैं, जबकि राज्य को 22.37 रुपये मिलते हैं. मुंबई में बिकने वाले एक लीटर पेट्रोल पर केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी क्रमश: 31.58 रुपये और 32.55 रुपये है.


टैक्स कम करने के लिए केंद्र सरकार ने उठाया अहम कदम


महाराष्ट्र सरकार की यह बैठक ऐसे वक्त में हो रही है जब बुधवार को ही पीएम नरेंद्र मोदी ने कोरोना पर एक बैठक के दौरान मुख्यमंत्रियों से पेट्रोल डीजल के दाम का जिक्र किया था. पीएम ने कहा था 'देशवासियों पर बढ़ती पेट्रोल डीजल का बोझ कम करने के लिए केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में कमी की थी. पिछले नवंबर महीने में प्रधानमंत्री ने कम किए थे. केंद्र सरकार ने राज्यों आग्रह किया था कि वो अपने यहां टैक्स कम करें और ये बेनिफिट नागरिकों को ट्रांसफर करें."


पीएम ने कहा "इसके बाद कुछ राज्यों ने तो भारत सरकार के अनुरूप यहां टैक्स कम कर दिया. लेकिन कुछ राज्यों ने अपने राज्य के लोगों को लाभ नहीं दिया. इस वजह से पेट्रोल डीजल की कीमतें इन राज्यों में अब भी दूसरे राज्यों के मुकाबलें में ज्यादा है यह एक तरह से इन राज्यों के लोगों के साथ अन्याय तो है ही साथ ही पड़ोसी राज्यों को भी नुकसान पहुंचाता है."


उन्होंने कहा था "स्वाभाविक है कि जो राज्य टैक्स में कटौती करते है उन्हें राजस्व की हानि होती है. जैसे अगर कर्नाटक ने कटौती नहीं की होती तो उसे इन छः महीनों में पांच हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व मिलता. गुजरात ने भी टैक्स कम नहीं किया होता तो उसे भी 3 4 करोड़ रुपए से ज्यादा राजस्व और मिलता. लेकिन ऐसे कुछ राज्यों ने अपने नागरिकों के भलाई के लिए अपने नागरिकों को तकलीफ इसलिए दिए अपने वैट में टैक्स में कमी की पाजिटीव का दम उठाए."