kolhapur: कोल्हापुर (kolhapur) जिले के बसरगे बुद्रुक गांव (Basarge Budruk village) के निवासियों ने कहा है कि वे दिवंगत नायक प्रशांत शिवाजी जाधव (Prashant Shivaji Jadhav) की पत्नी पर किसी भी तरह की अमानवीय विधवा प्रथा नहीं थोपेंगे. बता दें कि जाधव (28) और उनके 6 अन्य साथियों की बस यात्रा के दौरान मौत हो गई थी. जिस बस से वह यात्रा कर रहे थे, वह सड़क से फिसलकर लद्दाख क्षेत्र में श्योक नदी की घाटी में जा गिरी. जाधव के अलावा इस घटना में जान गंवाने वाले दो अन्य जवान भी महाराष्ट्र (Maharashtra) से थे. सतारा जिले के खाटव तालुका के विसापुर गांव के सूबेदार विजय सरजेराव शिंदे और कोल्हापुर जिले के बसरगे बुद्रुक गांव के नायक प्रशांत शिवाजी शिंदे के पार्थिव शरीर को उनके संबंधित गांवों में लाया गया.


तोपों की सलामी के साथ हुआ अंतिम संस्कार


तोपों की सलामी के साथ हजारों लोगों की उपस्थिति में बहादुर सैनिकों का पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. बता दें कि कोल्हापुर जिले के हेरवाड़ ग्रामपंचायत द्वारा सर्वप्रथम विधवा प्रथा पर प्रतिबंध लगाने का ऐतिहासिक निर्णय लेने के बाद कई गांव इसका अनुसरण कर रहे हैं. गांव की सरपंच भारती रायमाने ने इस संबंध में मीडिया से बातचीत में कहा कि हमने अभी तक इस संबंध में कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया है, लेकिन हमने इस पर विस्तार से चर्चा की है. दुर्भाग्य से नायक प्रशांत शिवाजी जाधव शहीद हो गए. हम नहीं चाहते कि हमारे समाज में विधवा रीति-रिवाजों के कारण शहीद की विधवा को किसी भी प्रकार के अपशगुन का सामना करना पड़े. हम चाहते हैं कि वह अपना जीवन गरिमा के साथ जिएं.


परिजनों को 1 करोड़ की आर्थिक मदद
वहीं, संरक्षक मंत्री सतेज पाटिल ने नायक प्रशांत शिवाजी जाधव को श्रद्धांजलि दी और  कहा कि दोनों वीर जवानों के परिजनों को 1 करोड़ रुपए की सहायता राशि दी जाएगी. बता दें कि राज्य सरकार ने 2019 में शहीद परिवारों को दी जाने वाली सहायता राशि को 25 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपए कर दिया था.


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