कौन हैं युगेंद्र पवार? लोकसभा चुनाव से पहले अजित पवार को दिया झटका
Who is Yugendra Pawar: महाराष्ट्र में सियासी तस्वीर तेजी से बदली हुई दिखाई दे रही है. इस बीच अजित पवार के भतीजे युगेंद्र पवार किसे समर्थन देंगे, इसको लेकर उन्होंने तस्वीर साफ कर दी है.
Maharashtra News: शरद पवार (Sharad Pawar) का हाथ थामे एक युवा की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है. इस तस्वीर के वायरल होते ही इस युवा पर चर्चा तेज हो गई. यह युवा कोई और नहीं बल्कि शरद पवार के भाई के पोते और अजित पवार (Ajit Pawar) के बड़े भाई श्रीनिवास पवार के बेटे हैं. इनका नाम युगेंद्र पवार (Yugendra Pawar) है. युगेंद्र पवार ने अपने दादा शरद पवार के साथ अपनी इस तस्वीर के जरिए बहुत कुछ कह दिया है. उन्होंने यह साफ कर दिया है कि वह चाचा नहीं बल्कि अपने दादा की राजनीतिक विचारधारा का अनुसरण करेंगे.
युगेंद्र ने 'एक्स' पर खुद यह तस्वीर शेयर कर लिखा, ''हम छत्रपति शिवराय द्वारा दिल्ली के सामने न झुकने की सीख दिए गए स्वाभिमान के तीर को सुरक्षित रखने के लिए तैयार हैं. जय जिजाऊ, जय शिवराय.'' शरद पवार के परिवार से अब तक उनकी बेटी सुप्रिया सुले, पोते रोहित पवार और भतीजे अजित पवार की चर्चा राजनीति के गलियारों में होती है और अब युगेंद्र की भी चर्चा होने लगी है. युगेंद्र के सोशल मीडिया प्रोफाइल के मुताबिक वह शरयु एग्रो के सीईओ हैं.
दिल्लीपुढे न झुकण्याचा छत्रपती शिवरायांनी शिकविलेला स्वाभिमानी बाणा जपण्यासाठी आम्ही सज्ज आहोत.
— Yugendra Pawar (@YSPawarSpeaks) February 23, 2024
जय जिजाऊ, जय शिवराय. ❤️🙏🏻 @NCP_Party1 @NCPspeaks pic.twitter.com/7UkubjYqPJ
जानते हैं कौन हैं युगेंद्र पवार ?
युगेंद्र पवार, शरद पवार द्वारा स्थापित शिक्षण संस्थान विद्या प्रतिष्ठान के कोषाध्यक्ष हैं. उन्होंने स्कूली शिक्षा जहां मुंबई और पुणे से हासिल की है तो वहीं यूनिवर्सिटी की पढ़ाई उन्होंने अमेरिका के बॉस्टन से की है. अमेरिका से लौटने के बाद उन्होंने अपने पिता श्रीनिवास पवार के व्यवसाय को ज्वाइन कर लिया था. बताया जाता है कि युगेंद्र पवार बारामती में भी सक्रिय हैं और वह वहां सोशल वर्क करते हैं. ऐसे में जब बारामती में चुनावी लड़ाई परिवार के बीच होने की संभावना है ऐसे में युगेंद्र का इस तरह से शरद पवार के सपोर्ट में खड़ा होने काफी अहम माना जा रहा है. इससे पहले उन्होंने बुधवार को शरद पवार के दफ्तर में जाकर उनसे मुलाकात भी की थी और अपना समर्थन जाहिर किया था. यह घटनाक्रम तब सामने आया है जब चुनाव आयोग और विधानसभा स्पीकर दोनों ने ही अजित पवार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उनके गुट को असली एनसीपी बताया है.
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