Manipur Horror: मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर कराई गई परेड, आदित्य ठाकरे ने सरकार पर खड़े किए सवाल
Manipur Violence: मणिपुर की एक घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है. दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर उसे परेड कराने का एक वीडियो सामने आने के बाद आदित्य ठाकरे ने इसकी निंदा की है.
Aaditya Thackeray on Manipur Horror: मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने का वीडियो बुधवार को सामने आने के बाद राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया. चार मई के इस वीडियो में दिख रहा है कि अन्य पक्ष के कुछ व्यक्ति एक समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड करा रहे हैं. अधिकारियों ने यहां यह जानकारी दी है. इस मुद्दे पर अब शिवसेना (यूबीटी) विधायक आदित्य ठाकरे ने अपनी प्रतिक्रिया दी है और इसकी निंदा की है, साथ ही सरकार पर सवाल भी खड़े किये हैं.
क्या बोले आदित्य ठाकरे?
आदित्य ठाकरे ने ट्वीट करते हुए कहा, मणिपुर से एक महिला को बिना कपड़ों के घुमाने की भयानक तस्वीरें आ रही हैं. क्या इस तरह के कृत्यों को सहन करना और मणिपुर में इस भयानक हिंसा को रोकने के लिए कार्रवाई नहीं करना भी मानवीय है? शर्मनाक है कि कोई कार्रवाई नहीं की गई. यह अकल्पनीय है कि दोनों महिलाओं को क्या झेलना पड़ा होगा. इससे भी अधिक शर्मनाक तथ्य यह है कि जो लोग हिंसा और ऐसे अमानवीय कृत्यों का सामना कर रहे हैं, वे सरकारी हस्तक्षेप की उम्मीद नहीं कर सकते, जो कि बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था. ये एक राष्ट्रीय शर्म है.
कब सामने आया ये वीडियो?
‘इंडिजीनियस ट्राइबल लीडर्स फॉरम’ (आईटीएलएफ) के गुरूवार को प्रस्तावित मार्च से एक दिन पहले यह वीडियो सामने आया है. आईटीएलएफ के एक प्रवक्ता के मुताबिक, 'घृणित’ घटना चार मई को कांगपोकपी जिले में हुई है और वीडियो में दिख रहा है कि पुरुष असहाय महिलाओं के साथ लगातार छेड़छाड़ कर रहे हैं और वे (महिलाएं) रो रही हैं और उनसे मन्नतें कर रही हैं. पुलिस मामले की जांच कर रही है. प्रवक्ता ने 'घृणित कृत्य' की निंदा करते हुए एक बयान में मांग की कि केंद्र और राज्य सरकारें, राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग अपराध का संज्ञान लें और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करें.
कुकी-ज़ो आदिवासी गुरूवार को चुरचांदपुर में प्रस्तावित विरोध मार्च के दौरान इस मुद्दे को भी उठाने की योजना बना रहे हैं. मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं. तब से अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.