Maharashtra News: मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने शुक्रवार को कहा कि यहां अंतरवाली सराती में आंदोलनकारियों के खिलाफ पुलिस में दर्ज मामले दो दिन में जबकि राज्यभर में आंदोलन में भाग लेने वाले अन्य लोगों के खिलाफ मामले एक महीने के भीतर वापस लिए जाने चाहिए. जरांगे ने यहां पंजरपोल में एक रैली को संबोधित करते कहा कि मराठा समुदाय के लिए आरक्षण लागू करने की 24 दिसंबर की समय सीमा पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि समुदाय को आरक्षण दिलाने की लड़ाई में आगे की कार्रवाई की योजना बनाने के लिए 17 दिसंबर को यहां एक बैठक होगी.


क्या बोले मनोज जरांगे?
उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के कहने पर मंत्रियों उदय सामंत, धनंजय मुंडे, अतुल सावे अंतरवाली सराती गये थे और उन्होंने सभी मामले वापस लेने का वादा किया था.जरांगे ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार को छगन भुजबल के दबाव के आगे नहीं झुकना चाहिए, जो अन्य पिछड़ा वर्ग के हिस्से से मराठों को कोटा देने की योजना का कड़ा विरोध कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि भुजबल समुदायों के बीच मनमुटाव पैदा करना चाहते हैं.


छगन भुजबल और जरांगे के बीच जुबानी जंग
ताजा हमले में, शिवबा संगठन के नेता मनोज जारंगे-पाटिल ने खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल को 'पनौती' (अपशकुन) करार दिया और उन पर राज्य में जातिवादी अशांति फैलाने का आरोप लगाया. जारांगे-पाटिल लगभग चार महीनों से मराठा आरक्षण के लिए अभियान चला रहे हैं, जबकि भुजबल ने ओबीसी श्रेणी से मराठा आरक्षण को अलग करने की उनकी मांग का पुरजोर विरोध किया है. दोनों समूहों के सीधे टकराव की स्थिति में भुजबल गुरुवार को नासिक में बारिश से प्रभावित कुछ इलाकों के सर्वेक्षण पर गए, जहां उन्हें किसानों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा. इसका जवाब देते हुए जारांगे-पाटिल ने कहा कि भुजबल दुर्भाग्यशाली हैं और उनकी वजह से राज्य के किसान साढ़ेसाती (एक ज्योतिषीय शब्द जो साढ़े सात साल के लिए दुर्भाग्य का संकेत देता है) से पीड़ित होंगे.


ये भी पढ़ें: Maharashtra Politics: 'नौटंकी था शरद पवार का इस्तीफा, कराया गया था प्रदर्शन', अजित पवार ने चाचा पर बोला बड़ा हमला