मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने 17 दिन के बाद अनशन खत्म करने की घोषणा की. गांव की महिलाओं के हाथों पानी पीकर अनशन खत्म किया. साथ ही ये भी कहा वो अब अस्पताल में भर्ती होने जा रहे हैं और इलाज करवाएंगे. ठीक होकर वापस लौटने के बाद एक बार फिर अपने समाज के लोगो के बीच जाएंगे. उन्होंने कहा कि बातचीत के बाद आंदोलन की आगे की रूप रेखा तय करेंगे. मनोज जरांगे ने कहा कि अब से चेन हंगर स्ट्राइक करेंगे.
इससे पहले मनोज जरांगे ने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की बात नहीं सुननी चाहिए और बताना चाहिए कि कुनबी मराठों के ‘सगे संबंधियों’ पर अधिसूचना क्यों लागू नहीं की जा रही है. जरांगे ने रविवार देर रात यह टिप्पणी तब की जब मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि कार्यकर्ता को उनकी सरकार के धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए.
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मनोज जरांगे ने रविवार को जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में आरोप लगाया कि फडणवीस उनकी ‘‘हत्या करने’’ की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने यह भी घोषणा की कि वह मुंबई तक मार्च करेंगे और उप मुख्यमंत्री के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे. उन्होंने यह भी दावा किया था कि उन्हें ‘सेलाइन’ के जरिए जहर देने की कोशिश की गई थी, हालांकि उन्होंने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया.
जरांगे बाद में अंतरवाली सरती से चले गए और मुंबई जाते समय छत्रपति संभाजीनगर के भांबेरी गांव में रुके. मुख्यमंत्री की टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर जरांगे ने मराठी समाचार चैनल ‘एबीपी माझा’ से कहा, “मैंने इन्हें सुना नहीं है, लेकिन उन्हें बताना चाहिए कि (मराठों के) रिश्तेदारों के आरक्षण की अधिसूचना क्यों लागू नहीं की गई. मैं उनका बहुत सम्मान करता था. उन्हें उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की बात नहीं सुननी चाहिए और उनकी (फडणवीस की) भाषा नहीं बोलनी चाहिए.”
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मराठा समुदाय से बड़ा कोई नहीं है. उन्होंने पूछा, “यह उनकी (शिंदे की) जिम्मेदारी थी कि वे (मराठों के) रिश्तेदारों के लिए अधिसूचना लागू करें और कुनबी जाति के प्रमाण पत्र जारी करने के लिए राजपत्र (निज़ाम राज्य, सतारा के) को सबूत के रूप में लेने पर विचार करें. प्रमाणपत्रों का वितरण रोक दिया गया है. हमारी तरफ से कौन सी मांग अतिरिक्त थी?”