Maharashtra News: मराठा नेता मनोज जरांगे पाटिल (Manoj Jarange Patil) ने अपना अनशन बुधवार (25 सितंबर) को खत्म कर दिया. उनका ये अनशन बुधवार को नौंवे दिन में प्रवेश कर गया था. उनकी सेहत में गिरावट देखी जा रही थी. जरांगे ने 17 सितंबर से अनशन शुरू किया था. बीते एक साल में यह उनका छठा अनशन था. जरांगे से पिछले दिनों शरद पवार गुट के सांसद बजरंग सोनावने और पूर्व राज्यसभा सांसद छत्रपति सांभाजी राजे ने मुलाकात की थी. 


जरांगे जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में अनशन पर थे. जरांगे मराठा को अन्य पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में लाए जाने और कुनबी समुदाय को ओबीसी सर्टिफिकेट देने की भी मांग कर रहे हैं. दूसरी तरफ लक्ष्मण हाके और नवंथ वाघमारे का वाडीगोडरी गांव में अनशन जारी है जो कि जरांगे के प्रदर्शन स्थल से केवल दो किलोमीटर दूर है. उनकी मांग है कि ओबीसी आरक्षण के साथ छेड़छाड़ नहीं किया जाए.


मराठा समुदाय से जरांगे की यह अपील
जरांगे के अनशन के बीच 23 सितंबर को महाराष्ट्र सरकार ने कैबिनेट की बैठक बुलाई थी जिसमें तीन कुनबी उपजातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करने का निर्णय लिया था. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक मनोज जरांगे ने कहा कि मराठा समुदाय की भावना को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अनशन छोड़ने का फैसला किया है. उन्होंने कहा, ''हम उनसे निपटेंगे जिन्होंने मराठाओं की भावना को आहत किया है. जिन्होंने मराठा समुदाय को प्रताड़ित किया है उन्हें बख्शा नहीं जाएगा.'' उन्होंने मराठाओं से अपील की कि वे किसी भी तरह की राजनीतिक बैठक में शामिल ना हों. 


एसपी और डीएम ने अनशन तोड़ने के लिए मनाया
एक्टिविस्ट मनोज जरांगे ने कहा कि मराठा समुदाय ने 70 वर्षों से काफी कुछ झेला है. हम अपने युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए आरक्षण चाहते हैं. बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा में मराठाओं को नौकरी और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया था. हालांकि जरांगे की मांग है कि उनके समुदाय को ओबीसी कैटिगरी में आरक्षण दिया जाए. जरांगे से जालना जिले के कलेक्टर राधाकृष्ण पांचाल और एसपी अजय कुमार बंसल ने मंगलवार आधी रात को मुलाकात की थी और उन्हें अनशन छोड़ने के लिए मनाया था. 


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