Maratha Reservation: मराठा आरक्षण की मांग को लेकर एक बार फिर मनोज जरांगे पाटिल अनशन पर बैठे हैं. जालना के अंतरावली साराटी में आज उनके अनशन का पांचवा दिन है. इस दौरान लगातार उनकी तबीयत बिगड़ रही है. बिगड़ती सेहत को देखते हुए जरांगे पाटिल डॉक्टरों के सलाह पर इलाज के लिए तो राजी हो गए हैं, लेकिन अपनी मांगों पर अभी भी अड़े हुए हैं.
दरअल, ये चौथी बार है जब जरांगे आरक्षण की मांग को लेकर अनशन पर बैठे है. उनके अनशन से एक बार फिर राज्य सरकार की टेंशन बढ़ गई है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में मराठा आंदोलन के कारण महायुति सरकार को भारी नुकसान झेलना पड़ा था.
जरांगे पाटिल आठ जून से अनशन पर बैठे हैं. आज उनके अनशन का पांचवा दिन हैं. जरांगे के तेवर पहले से ज्यादा तल्ख नजर आ रहे हैं. उन्होंने ये साफ शब्दों में कह दिया है कि ये आरक्षण सिर्फ और सिर्फ मराठा समाज के लिए है. सरकार पर आरोप लगाते हुए जरांगे ने कहा कि सरकार आंदोलन को तोड़ने की कोशिश कर रही है. अगर सरकार अध्यादेश नही लागू करती है तो वो आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य के सभी 288 सीटों पर सभी जाति- धर्म के उम्मीदवारों को चुनाव लड़वाएंगे और चुनाव में किसे हराना है उसका सीधा नाम लेंगे.
बता दें मराठा आरक्षण और मनोज जरांगे पाटिल का अनशन राज्य सरकार के लिए सिर दर्द बन गया है. पिछले साल से लोकसभा चुनाव से पहले तक पाटिल तीन बार आंदोलन कर चुके हैं. एक बार उन्होंने जालना से मुंबई के लिए कूच भी किया था, लेकिन सरकार ने अध्यादेश जारी कर उनके आंदोलन खत्म करवाया था. लेकिन अध्यादेश लागू नहीं होता देख उन्होंने एक बार फिर आंदोलन छेड़ दिया है.
'आंदोलन की वजह से चुनाव में हुआ नुकसान'
मराठा आंदोलन का नुकसान महायुति को लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला. खुद उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भी इस बात को माना है मराठा आंदोलन की वजह से महायुति को मराठवाड़ा रीजन में सिर्फ एक ही सीट पर जीत मिली है. मराठाओं का प्रभाव वाला क्षेत्र मराठवाड़ा रीजन में कुल आठ लोकसभा की सीट हैं. जिसमें संभाजीनगर की सीट को छोड़ दें तो महायुति को सात सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा है. बीजेपी से राव साहेब दानवे और पंकजा मुंडे जैसे दिग्गज नेताओं को मराठा आरक्षण के मुद्दे के चलते हार का सामना करना पड़ा.
महाराष्ट्र की जालना लोकसभा सीट मराठा आरक्षण आंदोलन का केंद्र रहा है. इस सीट पर दशकों से बीजेपी काबिज रही है, लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट पर बड़ा उलटफेर कर दिया है. यहां कांग्रेस प्रत्याशी कल्याण वैजिनाथराव काले ने 1 लाख 9 हजार 958 वोटों के बड़े अंतर से मोदी 2.0 में केंद्रीय मंत्री रहे राव साहेब दानवे को हरा दिया.
वहीं दूसरी ओर बीड़ जिले से बीजेपी उम्मीदवार पंकजा मुंडे को भी मराठा आरक्षण के चलते हार का सामना करना पड़ा. लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान पंकजा को लगातार मराठा समाज के रोष का सामना करना पड़ता था. शरद पवार ने यहां मराठा समुदाय से आने वाले बजरंग सोनावणे को उम्मीदवार बनाकर बीड जिले की लड़ाई मराठा बनाम ओबीसी कर दिया.
बीड से सोनावणे चुनाव जीत गए. सरकार ने एक बार फिर जरांगे से अनशन तोड़ने की मांग की है, आरक्षण सुप्रीम कोर्ट में टिके इसके लिए सरकार पूरी कोशिश कर रही है.
कांग्रेस और शिवसेना (UBT) ने सरकार को घेरा
मराठा आरक्षण को लेकर राज्य की महायुती सरकार जनता को भ्रमित करना चाहती है. लोकसभा चुनाव के दौरान जनता ने यह बता दिया है कि वो कांग्रेस और महाविकास आघाडी के साथ है. अब बीजेपी को इस बात की चिंता सता रही है कि लोकसभा के बाद अब विधानसभा में भी मराठा फैक्टर उनको नुकसान पहुंचा सकता है.
बीजेपी को होगा नुकसान- कांग्रेस
कांग्रेस नेता और प्रवक्ता चरण सिंह ने कहा बीजेपी के नेताओ को ये समझाना पड़ेगा कि अब ना तो मराठा समाज और ना ही ओबीसी समाज इनकी बातों से भ्रमित होगा. लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को मराठा फैक्टर से नुकसान होगा. कांग्रेस और महाविकास अघाड़ी मराठा समाज और ओबीसी समाज के लिए न्याय चाहती है.
जरांगे व्यक्ति नहीं विचार हैं- शिवसेना यूबीटी
इसके अलावा शिवसेना यूबीटी के प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि मनोज जरांगे पाटिल आरक्षण की लड़ाई अपने लिए नहीं लड़ रहे हैं बल्कि अपने समाज के लिए लड़ रहे हैं. आज उनके अनशन का पांचवा दिन है, लेकिन उनसे कोई बात नहीं कर रहा है. सरकार उदासीन हो गई है. सरकार को लग रहा है कि जरांगे क्या ही कर लेंगे. जरांगे व्यक्ति नहीं विचार है. अगर सरकार ने जरांगे की बातें नहीं मानी तो लोकसभा की तरह ही विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को नुकसान को सामना करना पड़ सकता है.
अनशन पर क्या बोली बीजेपी?
मनोज जरांगे पाटिल के अनशन पर बीजेपी प्रवक्ता अजित चव्हाण ने कहा कि मराठा आरक्षण को लेकर राज्य सरकार संवेदनशील है. सरकार ने मराठाओं को 10 प्रतिशत आरक्षण भी दिया और उसे लागू भी किया, लेकिन फिर एक बार जरांगे पाटिल अनशन पर बैठे हैं. उनकी मांग है कि सभी सगे संबंधियों को भी आरक्षण दिया जाए.
बीजेपी प्रवक्ता अजित चव्हाण ने कहा कि ये बात सुप्रीम कोर्ट में कैसे टिके उस बात को लेकर हम लोग काम कर रहे है. हम लोग शुरू से ही उनकी बातें मान रहे हैं. हम सभी को उनकी सेहत की चिंता है. जरांगे हमसे चर्चा करें. हमें सलाह दें. चर्चा के जरिए इस समस्या का हल निकल सकता है. जल्दबाजी में कोई निर्णय ना ले. लोकसभा के बाद विधानसभा में मराठा फैक्टर महायुति के लिए कैसे खतरा बन सकता है. राजनीति के जानकार इसे लेकर क्या कहते है.
वहीं राजनीतिक एक्सपर्ट अभय देशपांडे ने कहा कि लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में एनडीए को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है. संविधान बदलने की बात से, एनआरसी, सीएए के अलावा अगर किसी मुद्दे से बीजेपी को नुकसान हुआ है तो वो मराठा आरक्षण है. विधानसभा में भी महायुति को मराठा आरक्षण के कारण नुकसान हो सकता है. इसका हल बातचीत से निकल सकता है.
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