Maharashtra Assembly Elections: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण अधिकार कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल ने बुधवार (9 अक्टूबर) को बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने कहा है कि अगर महाराष्ट्र सरकार मराठा समुदाय की आरक्षण संबंधी मांगों को स्वीकार नहीं करती है तो वह आचार संहिता लागू होने के 48 घंटे के भीतर विधानसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति का खुलासा करेंगे.


मनोज जरांगे ने पीटीआई को फोन पर दिए एक इंटरव्यू में कहा, ''अगर उनके समर्थक चुनाव लड़ने का फैसला करते हैं तो वे निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगे और गठबंधन नहीं करेंगे. साथ ही वे सत्तारूढ़ शिवसेना-बीजेपी-NCP गठबंधन को हराने की कोशिश करेंगे.


हम आचार संहिता का इंतजार कर रहे- जरांगे


उन्होंने कहा, ''हम आचार संहिता का इंतजार कर रहे हैं. आचार संहिता लागू होने के बाद अगर हमारी मांगें स्वीकार नहीं की जाती हैं (उस समय तक) तो हम अगले 48 घंटे में विधानसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति का खुलासा करेंगे. जरांगे ने मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग पर जोर देने के लिए पिछले एक वर्ष से अधिक समय में कई बार अनशन किया है.


मैंने चुनाव लड़ने की रणनीति तैयार की-मनोज जरांगे


मराठा आरक्षण अधिकार कार्यकर्ता कहा, ''मैंने अपना काम कर लिया है और चुनाव लड़ने या सत्तारूढ़ दलों के उम्मीदवारों को हराने के लिए रणनीति भी तैयार कर ली है. डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस कहते हैं कि उन्होंने 80 प्रतिशत प्रश्नपत्र हल कर लिए हैं (80 प्रतिशत सीट के बंटवारे पर काम हो गया है) लेकिन मैं कहता हूं कि उनका 80 प्रतिशत काम खराब हो गया है.''


हमारे पास 113 उम्मीदवारों की सूची- जरांगे


असंतुष्ट मराठा समुदाय की ओर से 113 निर्वाचन क्षेत्रों में सत्तारूढ़ गठबंधन के उम्मीदवारों को हराने की कोशिश करने के उनके दावे के बारे में पूछे जाने पर जरांगे ने कहा, ''अगर मराठा आरक्षण मुद्दा हल नहीं होता है तो हमारे पास 113 उम्मीदवारों की सूची है जिन्हें हम हराना चाहते हैं. लेकिन हम किसी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे. अगर हम चुनाव लड़ने का फैसला करते हैं तो हमारे उम्मीदवार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरेंगे.''


हरियाणा विधानसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार BJP की जीत के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ''हर राज्य में मुद्दे अलग-अलग हैं. हरियाणा में सभी ने बीजेपी को वोट दिया होगा. लेकिन बीजेपी की आदत है कि सत्ता मिलने के बाद वह अपने मददगारों को ही छोड़ देती है. यहां मराठा समुदाय का मुद्दा है और आंदोलन अभी भी जारी है.''


उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र में 55 प्रतिशत लोग मराठा समुदाय से हैं. जरांगे ने चेतावनी देते हुए कहा, ''लगभग हर निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम एक लाख मराठा मतदाता हैं. हमारे पास उम्मीदवारों को हराने की क्षमता है.''


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