Maharashtra Reservation: मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने सोमवार को चेतावनी देते हुए कहा कि आरक्षण मुद्दे को सुलझाने के लिए महाराष्ट्र सरकार को दी गई 40 दिन की अवधि पूरी होने के बाद उनके समुदाय के सदस्य ‘‘चुप नहीं बैठेंगे’’. उन्होंने कहा, ‘‘मराठा और कुनबी (एक ओबीसी समुदाय) एक हैं. हमें किसी का हिस्सा नहीं चाहिए. मराठा समुदाय खेती करता है और इसका रिकॉर्ड हर जगह उपलब्ध है. हमने ऐसे रिकॉर्ड एकत्र किए हैं और मेरे आंदोलन के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी. सरकार मराठा आरक्षण के मामले को मजबूत बनाने के लिए 30 दिन का समय चाहती थी.’’


क्या बोले मनोज जरांगे?
जरांगे ने नासिक के राज्य खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल के विधानसभा क्षेत्र येओला में सकल मराठा समाज द्वारा आयोजित एक रैली में कहा, ‘‘वास्तव में, कैबिनेट एक प्रस्ताव पारित कर सकती थी और आरक्षण दे सकती थी, लेकिन उन्होंने कहा कि यह टिक (कानूनी तौर पर) नहीं सकता. हमने उन्हें 30 दिन के बजाय 40 दिन दिए हैं. लेकिन इस अवधि के समाप्त होने के बाद, समुदाय के लोग चुप नहीं बैठेंगे.’’ जरांगे ने कहा, ‘‘हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक हमें आरक्षण नहीं मिल जाता जो कि हमारा अधिकार है.’’


मराठा आरक्षण की लड़ाई कई सालों से चल रही है. मराठा आरक्षण के लिए मनोज जारांगे पाटिल ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी. जिसे सरकार से चर्चा के बाद वापस ले लिया गया था. उस वक्त महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने अपने हाथों से मनोज जारंगे को जूस पिलाकर ये आंदोलन खत्म कराया था, लेकिन आरक्षण के लिए आंदोलन पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ. महाराष्ट्र सरकार ने भरोसा दिलाया है कि वो इस बारे में सकारात्मक कदम उठाएगी.


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