Maharashtra News:  एक्टिविस्ट मनोज जारांगे (Manoj Jarange) ने मंगलवार को कहा कि ओबीसी नेता अलग-अलग पार्टियों में होने के बावजूद आरक्षण के मुद्दे पर एकजुट हैं, लेकिन उनके अपने समुदाय (मराठा) के लोग उनके साथ नहीं हैं और वह आरक्षण के लिए अकेले लड़ाई लड़ रहे हैं. मंगलवार को अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले उन्होंने यह बात पत्रकारों से कही. मनोज जरांगे ने 8 जून को फिर से प्रदर्शन शुरू किया था. हालांकि छह दिन बाद इसे स्थगित करना पड़ा.


मनोज जरांगे की मांग है कि मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र जारी किए जाएं जिससे कि वे भी कोटा का लाभ ले सकें. उनकी इस मांग का ओबीसी एक्टिविस्ट लक्ष्मण हाके और उनके समर्थक विरोध कर रहे हैं. हाके की मांग है कि महाराष्ट्र सरकार को ओबीसी आरक्षण को प्रभावित करने वाला कोई भी फैसला नहीं करना चाहिए. हालांकि सरकार से बातचीत के बाद हाके ने अपना आंदोलन वापस ले लिया है. 


मेरे समुदाय के नेता मेरे साथ नहीं - जरांगे
उधर, मनोज जरांगे ने कहा, ''मैंने कहा था कि मैं अकेला हूं. इसका मतलब यह है कि ओबीसी नेता अलग-अलग राजनीतिक दलों में होने के बाद भी एकजुट हैं. लेकिन मेरे समुदाय से जुड़े नेता मेरे साथ नहीं हैं. उनमें से कइयों ने तो किनारा कर लिया है. लेकिन मैं फिर भी लड़ता रहूंगा.'' उन्होंने सरकार से मराठा समुदाय की मांगों को पूरा करने की भी अपील की. ​​


हमारे समुदाय को किया गया बदनाम - जरांगे
जरांगे ने आरोप लगाया कि आरक्षण के लिए लड़ने वाले मराठा समुदाय के लोगों को बदनाम किया गया. जो लोग समुदाय और आरक्षण के लिए लड़े, उन्हें सरकार द्वारा बदनाम किया गया और किनारे कर दिया गया. मनोज जरांगे ने कहा, ''लेकिन वे चाहे हमें कितना भी बदनाम क्यों न करें, हम अपनी मांग से पीछे नहीं हटने वाले.''


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