(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
'देवेंद्र फडणवीस की भाषा बोल रहे हैं दक्षिणपंथी नेता संभाजी भिड़े', मनोज जरांगे ने साधा निशाना
Manoj Jarange News: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा अभी भी बना हुआ है. कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने संभाजी भिड़े और छगन भुजबल पर निशाना साधा है. जरांगे मराठाओं के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं.
Maharashtra News: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा अभी भी बना हुआ है और मनोज जरांगे पाटिल की शांति रैली की भूख हड़ताल का दूसरा चरण भी समाप्त हो गया है. कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मराठाओं के लिए आरक्षण की जरूरत पर कथित तौर पर सवाल उठाने के लिए दक्षिणपंथी नेता और शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्तान के संस्थापक संभाजी भिड़े पर निशाना साधा है.
जरांगे ने रविवार (18 अगस्त) को पत्रकारों से बात करते हुए आरोप लगाया कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भिड़े को उनके खिलाफ नए हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया, “भिड़े फडणवीस की भाषा बोल रहे हैं और उन्हें मेरे खिलाफ नए हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. मराठा समुदाय फडणवीस और बीजेपी से बहुत दूर जा रहा है.”
मनोज जरांगे ने मंत्री छगन भुजबल की आलोचना
उन्होंने महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल की भी आलोचना की, जिन्होंने नासिक में उनकी रैली में शामिल हुए मराठों की संख्या के बारे में बयान दिया था. अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय के नेता भुजबल ने रविवार को दावा किया कि 13 अगस्त को नासिक में जरांगे की रैली में केवल 8,000 मराठा शामिल हुए थे.
'मराठों की गिनती करने के लिए थमा दी जानी चाहिए सीटी'
कार्यकर्ता ने पिछले कुछ हफ्तों में सोलापुर, सांगली, कोल्हापुर, सतारा, पुणे, अहमदनगर और नासिक में रैलियां कीं. उन्होंने कहा, 'भुजबल राज्य सरकार के सदस्य हैं और फडणवीस गृह मंत्री हैं. पुलिस उनकी है. हम जानते हैं कि रैली में कितने मराठा थे. अगर भुजबल सड़कों पर उतरने वाले मराठों की गिनती कर रहे हैं, तो उन्हें क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) का अधिकारी बना दिया जाना चाहिए और वाहनों में मराठों की गिनती करने के लिए एक सीटी थमा दी जानी चाहिए.'
जरांगे उस मसौदा अधिसूचना को लागू करने की मांग कर रहे हैं, जिसमें कुनबियों को मराठा समुदाय के सदस्यों के 'सगे सोयारे' (रक्त संबंधी) के रूप में मान्यता देते हुए ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण प्रदान करने का प्रावधान है. कुनबियों को ओबीसी के रूप में आरक्षण का लाभ मिलता है. हालांकि, ओबीसी सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया है कि उनका आरक्षण कम नहीं किया जाना चाहिए.
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