Maratha Reservation: मनोज जरांगे आज से फिर करेंगे आमरण अनशन, सरकार को दी ये चेतावनी, बोले- 'इस बार मैं...'
Maratha Reservation Protest: मनोज जरांगे महाराष्ट्र सरकार को 10 फरवरी से फिर से भूख हड़ताल करने की चेतावनी दी है. उन्होंने मांग की है कि मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी किया जाए.
Manoj Jarange Maratha Reservation Protest: मराठा आरक्षण को लेकर, आंदोलनकारी मनोज जरांगे पाटिल का सुबह 10 बजे से अंतरावली सराटी गांव में आमरण अनशन करेगें. मनोज जरांगे पाटिल ने कहा है कि इस बार का अनशन और भी कठिन होगा इस बार वो पानी और दवा नहीं लेंगे. सरकार का स्टैंड क्लियर नहींं है. सरकार ने अभी तक मराठा आरक्षण के मुद्दे पर विधान सभा का विशेष सत्र नहीं बुलाया है. हमने पहले ही कहा है कि सरकार अध्यादेश पास करे कि मराठा और कुनबी एक ही हैं.
इसके पहले जरांगे कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल पर भड़क गए हैं और कहा है कि अगर भुजबल मराठा आरक्षण की राह में रोड़ा पैदा करेंगे तो वो अब मंडल आयोग को चुनौती देंगे. इस बीच कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल को फिर से जान से मारने की धमकी मिली है और उनके घर और फार्म हाउस की सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
क्या बोले मनोज जरांगे?
कुछ दिन पहले मनोज जरांगे पाटिल ने कहा था, ''इस मुद्दे (सेज-सोयारे) पर वर्तमान परिस्थिति में सरकार का रूख संदिग्ध नजर आ रहा है. उन्हें अपना रूख स्पष्ट करना चाहिए, अन्यथा मैं शनिवार (10 फरवरी) से एक और भूख हड़ताल और आंदोलन शुरू करूंगा.'' नया अल्टीमेटम तब आया जब जरांगे-पाटिल ने लगभग 155 दिनों के बाद अगस्त 2023 में आंदोलन शुरू करने के बाद पहली बार अपने घर में कदम रखा और उनकी पत्नी और छोटे बच्चों द्वारा उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया.
आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने गुरूवार को था कि अगर महाराष्ट्र के मंत्री और ओबीसी नेता छगन भुजबल ने मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की राह में बाधाएं पैदा कीं तो वह ‘‘मंडल आयोग को चुनौती देंगे.’’ जरांगे ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘जैसे आपके बेटे-बेटियां हैं, वैसे ही हमारे भी बेटे-बेटियां हैं. हम मंडल आयोग को चुनौती नहीं देना चाहते. आप जियो और हमें जीने दो. लेकिन अगर आपने हमारे आरक्षण की राह में बाधाएं पैदा कीं, तो हमारा धैर्य जवाब दे जाएगा और हमें मंडल आयोग को चुनौती देनी पड़ेगी.’’ गौरतलब है कि शिक्षा और सरकारी नौकरियों में ओबीसी समुदायों के लिए आरक्षण करीब तीन दशक पहले मंडल आयोग की रिपोर्ट के आधार पर पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया गया था.
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