Maratha Reservation: आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने सोमवार को अपना वह बयान वापस ले लिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि मराठा “नालायक लोगों” के अधीन काम कर रहे हैं. जरांगे के इस बयान को महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के अपमान के तौर पर देखा गया और इसपर खूब हंगामा भी हुआ. उन्होंने कहा कि वह मराठा समुदाय के हितों की रक्षा पर ध्यान केंद्रित रखना चाहते हैं. जरांगे ने मराठा समुदाय के सदस्यों के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर अपने आंदोलन के तहत अगस्त के अंत के बाद से दो अलग-अलग मौकों पर कई दिन तक भूख हड़ताल की है और अपनी मांग के समर्थन में राज्य भर में रैलियां कर रहे हैं.


पिछले सोमवार (20 नवंबर) को पुणे में एक रैली में उन्होंने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि “हमारे बच्चे होशियार और बुद्धिमान हैं. हालांकि, हमारे पास नालायक लोगों के अधीन काम करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. अगर हमें 70 साल पहले आरक्षण का लाभ मिला होता तो मराठा अब तक सबसे प्रगतिशील समुदाय होता.” एक सप्ताह तक अपने रुख पर कायम रहने और आलोचना झेलने के बाद, जरांगे ने कहा कि वह बयान वापस ले रहे हैं.


उन्होंने एक क्षेत्रीय समाचार चैनल से बात करते हुए कहा, “मुझे एहसास हुआ कि प्रकाश आंबेडकर (वंचित बहुजन आघाड़ी के नेता) मुझसे क्या कहना चाह रहे थे. इसलिए, मैंने अपने शब्द वापस लेने का फैसला किया है. मैं अपने समुदाय के हितों की रक्षा करना चाहता हूं.” उन्होंने जोर देकर कहा, ''भुजबल (राज्य के मंत्री और प्रमुख ओबीसी नेता छगन भुजबल) या किसी अन्य नेता द्वारा मुझ पर निशाना साधने कारण मैंने अपने शब्द वापस नहीं लिए हैं.'' संविधान के मुख्य निर्माता बी.आर. अंबेडकर के पोते प्रकाश आंबेडकर ने रविवार को जरांगे को ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी थी जिनसे मराठा आरक्षण के लिए उनके संघर्ष के उद्देश्य विफल हो सकते हैं.


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