Maratha Reservation Protest: महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra Assembly) ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला विधेयक मंगलवार को सर्वसम्मति से पारित कर दिया है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मराठा आरक्षण पर विधानमंडल के एक दिवसीय विशेष सत्र के दौरान सदन में महाराष्ट्र राज्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा विधेयक 2024 पेश किया. विधेयक में यह भी प्रस्ताव किया गया है कि एक बार आरक्षण लागू हो जाने पर 10 साल बाद इसकी समीक्षा की जा सकती है. इस बीच अब मंत्री शंभूराज देसाई का बयान सामने आया है.


क्या बोले शंभूराज देसाई?
महाराष्ट्र के मंत्री शंभूराज देसाई ने कहा, ''सरकार ने मनोज जारांगे पाटिल और मराठा समुदाय की मांगों को पूरा कर दिया है. जो आपत्तियां आई हैं, सरकार उनका अध्ययन करेगी और उन पर फैसला लेगी. मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि विरोध करने की कोई जरूरत नहीं है.'' सरकार ने मराठा समुदाय के पक्ष में फैसला लिया है.”


मनोज जरांगे की मांग
मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे 10 फरवरी से भूख हड़ताल पर बैठे हैं. सरकार ने हाल ही में एक मसौदा अधिसूचना जारी की थी जिसमें कहा गया है कि यदि किसी मराठा व्यक्ति के पास यह दिखाने के लिए दस्तावेजी सबूत है कि वह कृषक कुनबी समुदाय से है, तो उस व्यक्ति के रक्त संबंधियों को भी कुनबी जाति प्रमाण पत्र मिलेगा. कुनबी समुदाय अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आता है और जरांगे मांग कर रहे थे कि सभी मराठा को कुनबी प्रमाणपत्र जारी किए जाएं. महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटे में मराठों के 'पिछले दरवाजे से प्रवेश' का विरोध कर रहे हैं, लेकिन समुदाय के लिए अलग आरक्षण के पक्ष में हैं.


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