Maratha Reservation News: मराठाओं को 10 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एमएसबीसीसी) को एक नोटिस जारी कर उसे प्रतिवादी बनाया.


मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय, न्यायमूर्ति जी. एस. कुलकर्णी और न्यायमूर्ति फिरदौस पूनीवाला की पूर्ण पीठ ने आयोग को भी पक्षकार बनाया और नोटिस जारी किया.


मराठा आरक्षण के फैसले के खिलाफ याचिका पर सुनवाई
इससे पहले, पीठ ने मंगलवार को कहा था कि मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की सिफारिश को लेकर राज्य सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं में एमएसबीसीसी एक आवश्यक पक्ष है.


पीठ ने पिछले सप्ताह महाराष्ट्र राज्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग आरक्षण अधिनियम, 2024 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की थी. इस अधिनियम के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था.


कुछ याचिकाओं में न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में एमएसबीसीसी की स्थापना, इसकी कार्यप्रणाली और मराठाओं के लिए आरक्षण की सिफारिश करने वाली रिपोर्ट को भी चुनौती दी गई है.


याचिकाकर्ताओं में से एक, भाऊसाहेब पवार ने सोमवार को एक अर्जी दाखिल कर आयोग को याचिका में पक्ष बनाने का अनुरोध किया था. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 10 जुलाई तय की.


बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा था कि मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की सिफारिश को लेकर राज्य सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं में महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एमएसबीसीसी) एक आवश्यक पक्ष है. अर्जी पर सुनवाई के बाद पीठ ने कहा था कि चूंकि पवार की याचिका में आयोग की रिपोर्ट को भी चुनौती दी गई है और उसे खारिज करने का अनुरोध किया गया है, इसलिए एमएसबीसीसी एक उचित और आवश्यक पक्ष है.


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