मराठा समुदाय की मांग पर चर्चा के लिए 20 फरवरी को विधानमंडल का विशेष सत्र, शिंदे सरकार का फैसला
Maratha Reservation News: शिंदे सरकार की कैबिनेट ने बुधवार (14 फरवरी) को बैठक में ये फैसला लिया कि 20 फरवरी को विधानमंडल का विशेष सत्र बुलाया जाएगा. मनोज जरांगे भूखहड़ताल पर हैं.
Maharashtra News: महाराष्ट्र में एकनाश शिंदे सरकार की कैबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला लिया. बुधवार को हुई बैठक में मराठा समुदाय की विभिन्न मांगों पर चर्चा के लिए 20 फरवरी को विधानमंडल का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाने को मंजूरी दी गई है. बता दें कि मराठा समुदाय को आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे का अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल जारी.
इस बीच महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को बम्बई उच्च न्यायालय को बताया कि वह पात्र मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देकर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में शामिल करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है. मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे की इस मुद्दे पर भूख हड़ताल पांचवें दिन में प्रवेश कर गयी, जिसके बाद सरकार का यह बयान आया है.
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महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने न्यायमूर्ति ए एस गडकरी और न्यायमूर्ति श्याम चांडक की खंडपीठ को बताया कि अभी 20 दिन भी नहीं हुए हैं जब प्रदेश सरकार ने एक मसौदा अधिसूचना जारी की थी. इसमें कहा गया है कि (पात्र) मराठों को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल किया जाएगा, लेकिन जरांगे ने पहले ही भूख हड़ताल शुरू कर दी है.
पीठ जरांगे के चल रहे आंदोलन के कारण कानून-व्यवस्था में व्यवधान को लेकर कार्यकर्ता गुणारतन सदावर्ते द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. सराफ ने कहा कि सरकार हमेशा स्थिति के प्रति संवेदनशील रही है.
महाधिवक्ता ने अदालत को बताया, ‘‘पिछली बार लोगों (जरांगे और उनके समर्थकों) ने मुंबई तक मार्च किया था और राज्य ने कदम उठाए थे, जिसमें नियमों में संशोधन हेतु आपत्तियां मांगने के लिए एक अधिसूचना जारी करना भी शामिल था. कानून की अपनी एक निश्चित समयसीमा होती है. इस तरह की स्थितियों में लगातार उपवास करने से कई तरह की परिस्थितियां पैदा होंगी जिससे मुश्किलें होंगी.’’
सराफ ने कहा, ‘‘सरकार मराठा समुदाय के लोगों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने के उद्देश्य से नियमों में संशोधन करने के लिए सभी कदम उठा रही है.’’ कुनबी एक कृषक समुदाय है जिन्हें ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण प्रदान किया जाता है . उन्होंने कहा कि सरकार को जरांगे के स्वास्थ्य की भी चिंता है और उन्हें चिकित्सा सहायता स्वीकार करनी चाहिये . सदावर्ते ने दलील पेश करते हुये कहा कि बार-बार विरोध प्रदर्शनों से कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा होती है. इस बीच, जरांगे के वकील रमेश दुबे पाटिल ने अदालत को बताया कि उन्हें सलाइन चढ़ाया जा रहा है. अदालत ने कहा कि वह मामले की आगे की सुनवाई गुरुवार को करेगी.