Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को मराठा आरक्षण पर अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों द्वारा दिए गए विरोधाभासी बयानों पर नाराजगी व्यक्त की और उनसे भावनात्मक मुद्दे पर सावधानी बरतने का आग्रह किया. राज्य मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता करते हुए शिंदे ने अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों को अपनी नाराजगी जाहिर की. बैठक में मराठा आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा हुई, जिसके समाधान के लिए कार्यकर्ता मनोज जारांगे ने नौ दिन का उपवास किया और 24 दिसंबर तक सरकार को समय दिया है.


फर्जी कुनबी जाति प्रमाण पत्र वितरित नहीं किए जाएं- भुजबल


जानकारी के मुताबिक, बैठक में खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी के तहत आरक्षण चाहने वालों को फर्जी कुनबी जाति प्रमाण पत्र वितरित नहीं किए जाएं. बता दें छगन भुजबल प्रमुख ओबीसी नेता हैं. बैठक में शिंदे ने मराठा आरक्षण मुद्दे पर मंत्रियों द्वारा की गई विरोधाभासी टिप्पणियों पर नाराजगी व्यक्त की और चेतावनी दी कि ऐसा कुछ भी नहीं कहा जाना चाहिए जिससे तनाव बढ़े.


कोटा मुद्दे पर हिंसा व दबाव की रणनीति बर्दाश्त नहीं- भुजबल 


वहीं राकांपा (अजित पवार गुट) के नेता भुजबल ने सोमवार को कहा कि ओबीसी के तहत मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए पिछले दरवाजे से प्रयास किए जा रहे हैं जिसका विरोध किया जाएगा. उन्होंने कहा कि कोटा मुद्दे पर हिंसा और दबाव की रणनीति बर्दाश्त नहीं की जाएगी. महाराष्ट्र सरकार ने विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी प्रमाण पत्र देने की व्यवहार्यता का अध्ययन करने के लिए गठित न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) संदीप शिंदे समिति का दायरा बढ़ा दिया है.


जारांगे की मांगों में मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र दिया जाना भी शामिल है ताकि उन्हें ओबीसी श्रेणी के तहत शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिल सके. गौरतलब है कि, कुनबियों को महाराष्ट्र में ओबीसी समुदाय के रूप में मान्यता प्राप्त है, जहां उन्हें कोटा का लाभ मिलता है.


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