(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Maratha Reservation: मनोज जरांगे पाटिल की बढ़ीं मुश्किलें, महाराष्ट्र पुलिस ने इस मामले में दर्ज की FIR
Maratha Reservation News: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल की मुश्किलें अब बढ़ने वाली हैं. आईपीसी की धारा 341,143,145,149,188 के तहत उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
Maharashtra Maratha Reservation: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. महाराष्ट्र पुलिस ने मनोज जरांगे पाटिल के खिलाफ आईपीसी की धारा 341,143,145,149,188 के तहत मामला दर्ज किया है. बीड के एसपी नंदकुमार ठाकुर ने बताया कि मनोज पाटिल पर कथित तौर पर आम लोगों को एक सड़क को अवरुद्ध करने के लिए उकसाया और इसके कारण भारी यातायात जाम हो गया. इससे लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ा. पुलिस ने बीड में 25 अन्य स्थानों पर ट्रैफिक जाम पर भी मामले दर्ज किए हैं.
मनोज जरांगे पाटिल ने डिप्टी सीएम पर लगाए गंभीर आरोप
मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल ने महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार के खिलाफ फिर मोर्चा खोल दिया है. बीते रविवार को मनोज जरांगे पाटिल ने डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस पर अपने एनकाउंटर की साजिश का आरोप लगाया. इसके साथ ही उन्होंने फडणवीस के घर के बाहर अनशन करने की बात भी कही.
जालना में बस में लगाई थी आग
वहीं महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मामला शांत होता नहीं दिख रहा है. सोमवार को फिर मराठा प्रदर्शनकारियों का आक्रोश देखने को मिला. जालना में प्रदर्शनकारियों ने एक बस में आग लगा दी. मराठा प्रदर्शनकारियों ने जमकर हंगामा भी किया. जिसके बाद कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए अंबाद तहसील में कर्फ्यू लगाया गया. इसके साथ ही ने छत्रपति संभाजीनगर, जालना और बीड जिलों में इंटरनेट सेवा 10 घंटे के लिए बंद कर दी गई.
शिंदे सरकार ने 20 फरवरी को पास किया था बिल
मराठाओं की मांगों को देखते हुए शिंदे सरकार की तरफ से 20 फरवरी को विधानसभा का एक विशेष बुलाया गया. इस सत्र के दौरान मराठाओं को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण देने का बिल पास किया गया. मराठाओं को इससे पहले 52 फीसदी आरक्षण दिया गया था. शिंदे सरकार की तरफ से दिए गए आरक्षण की वजह से उनका आरक्षण 62 फीसदी हो गया. लेकिन उनकी मांग है कि उन्हें ओबीसी के अंदर आरक्षण दिया जाए. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार किसी भी समुदाय को 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता.
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