Maratha Reservation: मनोज जरांगे पाटिल की बढ़ीं मुश्किलें, महाराष्ट्र पुलिस ने इस मामले में दर्ज की FIR
Maratha Reservation News: मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे के खिलाफ बीड में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है. मनोज जरांगे के खिलाफ 15 दिनों में 9 FIR दर्ज हो चुकी है.
Maharashtra Maratha Reservation: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल (Manoj Jarange Patil) के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. भड़काऊ भाषण देने के आरोप में महाराष्ट्र पुलिस ने मनोज जरांगे पाटिल और 15 अन्य लोगों के खिलाफ शनिवार (16 मार्च) को बीड में एफआईआर दर्ज की है. पुलिस ने यह केस तांदलवाडी घाट में दिए गए भाषण के चलते नेकनूर पुलिस स्टेशन में दर्ज किया है.
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पिछले 15 दिनों में मनोज जरांगे के खिलाफ अब तक बीड जिले के शिरूर कसार, अमलनेर, पेठ, पिंपलनेर, अंबाजोगाई शहर, चकलामाबा, गेवराई, माजलगांवग्रामीण और नेकनूर पुलिस स्टेशनों में कुल 9 केस दर्ज हो चुके हैं. बता दें मनोज जारांगे पाटिल मराठा आरक्षण को लेकर कड़ा रुख अपना लिया है. ऐसे में शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम एकनाथ शिंदे से माराठा आरक्षण के सवालों पर जवाब दिया.
सीएम शिंदे ने क्या कहा?
सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि सरकार द्वारा जारी मराठा समुदाय के लिए सेज सॉयरे आरक्षण (मराठा आरक्षण) की अधिसूचना पर 8 लाख 47 हजार आपत्तियां आई हैं. इनमें 4 लाख 47 हजार आपत्तियों को दर्ज कर उनकी जांच की जा रही है. साथ ही इसमें करीब 25 से 30 दिन का समय लगेगा.
सामाजिक न्याय विभाग, खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग, अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, निःशक्तजन कल्याण विभाग सार्वजनिक छुट्टी के दिन भी ऑफिस आकर इन आपत्तियों को दर्ज कर जांच कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अधिसूचना के मसौदे को अंतिम रूप देने के बाद विधि और न्याय विभाग की मंजूरी लेकर अंतिम अधिसूचना जारी की जाएगी.
शिंदे सरकार ने 20 फरवरी को पास किया था बिल
मराठाओं की मांगों को देखते हुए शिंदे सरकार की तरफ से 20 फरवरी को विधानसभा का एक विशेष बुलाया गया. इस सत्र के दौरान मराठाओं को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण देने का बिल पास किया गया. मराठाओं को इससे पहले 52 फीसदी आरक्षण दिया गया था.
शिंदे सरकार की तरफ से दिए गए आरक्षण की वजह से उनका आरक्षण 62 फीसदी हो गया, लेकिन उनकी मांग है कि उन्हें ओबीसी के अंदर आरक्षण दिया जाए. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार किसी भी समुदाय को 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता है.