Manoj Jarange Protest: मराठी भाषा की मोडी लिपि के विशेषज्ञ अनेक कार्यालयों और विभागों के निजाम कालीन दस्तावेजों का रूपांतरण कर रहे हैं ताकि मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए मराठवाड़ा में कुनबी लोगों के रिकॉर्ड का पता चल सके. विशेषज्ञों ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा कि भूमि अभिलेख विभाग, तहसील और अन्य कार्यालयों के दस्तावेजों और 1967 के पहले के स्कूल के रिकॉर्ड का अध्ययन किया जा रहा है. 


सरकार ने जारी किया है मसौदा अधिसूचना
महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण आंदोलन कार्यकर्ता मनोज जरांगे के साथ बातचीत के बाद एक मसौदा अधिसूचना जारी किया है जिसमें कहा गया है कि किसी मराठा व्यक्ति को जिसके पास यह दर्शाने के लिए रिकॉर्ड हैं कि वह कुनबी समुदाय से जुड़ा है, उसके खून के रिश्ते वाले लोगों को भी कुनबी के तौर पर मान्यता दी जाएगी. कुनबी समुदाय अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में आता है और जरांगे सभी मराठाओं को कुनबी प्रमाणपत्र दिये जाने की मांग कर रहे हैं.


क्या बोले कामाजी दाक पाटिल?
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय में मोडी लिपि पर केंद्रित प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम के शिक्षक कामाजी दाक पाटिल ने कहा, ‘‘हम दस्तावेजों का अध्ययन कर रहे हैं. अगर हमें इन कागजों में कुनबी का उल्लेख मिला तो हम सूचना का रूपांतरण का देवनागरी में करेंगे और इसे जिले के अधिकारियों को सौंप देंगे जो रिकॉर्ड को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर देंगे.’’ उन्होंने कहा कि पहले समझा जाता था कि निजाम कालीन ये कागजात हैदराबाद में हैं, लेकिन मोडी लिपि में अनेक दस्तावेज मराठवाड़ा के सरकारी दफ्तरों में भी मिले हैं.


सीएम शिंदे की घोषणा
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने घोषणा की कि मराठा समुदाय को जब तक आरक्षण नहीं मिल जाता, तब तक उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को दिए जाने वाले सभी लाभ दिए जाएंगे. महाराष्ट्र सरकार ने शनिवार को अधिसूचना जारी कर मराठा समुदाय के सदस्यों के उन सभी सगे-संबंधियों को कुनबी के रूप में मान्यता दे दी है, जिनके कुनबी जाति से संबंध होने के रिकॉर्ड मिले हैं.


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