Maratha Reservation: मराठा आरक्षण को लेकर मुंबई में सर्वदलीय बैठक आज, जानें- क्यों सड़कों पर उतरने को मजबूर हुए लोग?
Maratha Quota: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस बीच आज महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई में इसपर चर्चा के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है.
Maharashtra News: 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विवादास्पद मराठा आरक्षण मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. मराठों के लिए राज्य-स्तरीय आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व करने वाले मनोज जारांगे पाटिल भूख हड़ताल पर बैठे हैं. HT के मुताबिक, समर्थकों और विरोध करने वालों के बीच फंसी बीजेपी-शिवसेना के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने आज सर्वदलीय बैठक बुलाई है. यह पहला ऐसा कदम है जहां सत्तारूढ़ प्रशासन ने विरोध प्रदर्शन के बाद से विपक्षी दलों के विचारों को समझने की कोशिश की है. पुणे में उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा, "हमने जारांगे-पाटिल की भूख हड़ताल को खत्म करने के लिए हर संभव प्रयास किए हैं, लेकिन उन्होंने इसे खत्म करने से इनकार कर दिया है."
मराठा आरक्षण को लेकर क्या है हलचल?
1- मराठा समुदाय सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की मांग कर रहा है.
2- आरक्षण की मांग 1981 से राज्य की राजनीति का एक अभिन्न अंग बनी हुई है और कई बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं.
3- मुद्दा तब गरमाया जब मराठों के लिए ओबीसी दर्जे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर जारांगे-पाटिल की भूख हड़ताल की जगह जालना में पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया.
4- दशकों पुरानी मांग स्थायी समाधान तक पहुंचने में विफल रही. हालांकि 2014 में, पृथ्वीराज चौहान के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने नारायण राणे आयोग की सिफारिशों के आधार पर मराठों को 16% आरक्षण देने के लिए एक अध्यादेश पेश किया.
5- 2018 में, व्यापक विरोध के बावजूद राज्य सरकार ने 16 फीसदी आरक्षण दिया. बंबई उच्च न्यायालय द्वारा इसे नौकरियों में 13% और शिक्षा में 12% तक घटा दिया गया था. 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने इस कदम को रद्द कर दिया.
6- मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पिछले हफ्ते घोषणा की कि मध्य महाराष्ट्र क्षेत्र के मराठा ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण का लाभ उठा सकते हैं, यदि वे निजाम युग से उन्हें कुनबी के रूप में वर्गीकृत करने वाला प्रमाण पत्र प्रस्तुत करें तो.
मराठों में क्यों है निराशा?
1- महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनके कुनबी होने का प्रमाण पत्र पेश करने की मांग ने प्रदर्शनकारियों को निराश किया है.
2- मराठा समूहों ने कहा कि वे बिना किसी शर्त के आरक्षण चाहते हैं.
3- जारांगे पाटिल और कुछ मराठा संगठनों का कहना है कि सितंबर 1948 में मध्य महाराष्ट्र में निजाम शासन खत्म होने तक मराठों को कुनबी माना जाता था, और प्रभावी रूप से ओबीसी थे.
आरक्षण की मांग का विरोध कौन कर रहा है?
ओबीसी महासंघ के अध्यक्ष बबन तायवाड़े ने कहा, ओबीसी और कुनबी समूहों को डर था कि नए प्रवेशकों द्वारा उनका कोटा खा लिया जाएगा. ओबीसी समूहों ने कहा कि वे 'किसी और के लिए अपने हिस्से का आरक्षण छोड़ने' को तैयार नहीं हैं. अगर सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देना चाहती है, तो उसे इसे खुली श्रेणी से देने पर विचार करना चाहिए.