Maratha Reservation Protest: मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) को लेकर आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे (Manoj Jarange) की अनिश्चित भूख हड़ताल गुरुवार को छठे दिन में प्रवेश कर गई. हड़ताल के पांचवें दिन यानी बुधवार को मनोज जरांगे की स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ती देख उन्हें तरल पदार्थ दिया गया. जरांगे मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समूह में शामिल करने की मांग को लेकर महाराष्ट्र के जालना (Jalna) जिले में अपने पैतृक गांव अंतरवाली सरती में अनिश्चितकालीन अनशन कर रहे हैं.


जरांगे ने अनाधिकृत आईवी उपचार दिए जाने पर निराशा व्यक्त की और इस बात पर जोर दिया कि अगर देखभाल की जरूरत है तो सरकार को तुरंत मराठा आरक्षण लागू करना चाहिए वरना वह आगे के प्रदर्शन के लिए मुंबई जाएंगे. जरांगे ने कहा, ‘‘जिन्होंने मुझे नींद के दौरान तरल पदार्थ दिया वे अब मराठा आरक्षण लागू करने के लिए जिम्मेदार हैं.’’


मैं मुंबई में अपना अनशन फिर से शुरू करूंगा-मनोज जरांगे
उन्होंने कहा, ‘‘तरल पदार्थ देने के लिए जिम्मेदार लोगों को अब मराठा आरक्षण का कार्यान्वयन सुनिश्चित करना चाहिए. सरकार यह मानकर चुप नहीं बैठ सकती कि मेरे अपने लोग इन तरीकों से मेरी मृत्यु को रोक देंगे.' यह स्पष्ट नहीं है कि मौके पर मौजूद सरकारी चिकित्सकों ने उन्हें तरल पदार्थ देने का निर्णय लिया था या फिर निजी चिकित्सा दल ने यह कदम उठाया. जरांगे ने आरक्षण पर सरकार की निष्क्रियता को लेकर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘अगर सरकार दो दिन के भीतर कदम नहीं उठाती है, तो मैं मुंबई में अपना अनशन फिर से शुरू करूंगा.’’


मराठा कार्यकर्ता किशोर मरकड ने कहा कि जरांगे के शरीर में पानी की कमी हो गई थी इसीलिए ग्रामीणों ने चिकित्सा सहायता लेने का निर्णय लिया. इससे पहले, जरांगे ने विरोध स्थल से चेतावनी दी थी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री मोदी की कोई भी रैली नहीं होने दी जाएगी. प्रधानमंत्री की रैलियों को लेकर जरांगे की धमकी के जवाब में केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने उनकी आलोचना करते हुए उन पर अतार्किक टिप्पणी करने का आरोप लगाया और प्रधानमंत्री की यात्राओं को बाधित कर दिखाने की चुनौती दी.


केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने क्या कहा
राणे ने कहा कि अनशन पर बैठे कार्यकर्ता ने सारी हदें पार कर दी हैं. केंद्रीय मंत्री स्वयं भारतीय जनता पार्टी की महाराष्ट्र इकाई से एक प्रमुख मराठा नेता हैं. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि उन्हें कुछ मानसिक झटका लगा है और वह ऐसी टिप्पणियां कर रहे हैं जिनका कोई मतलब नहीं है.’’उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता को अपनी सीमाएं जाननी चाहिए और हद में रहना चाहिए.


यह एक साल से भी कम समय में चौथी बार है जब जरांगे मराठा समुदाय को ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समूह के तहत शामिल करने की मांग को लेकर भूख हड़ताल कर रहे हैं. जरांगे ने इसके अलावा कुनबी मराठों के रक्त संबंधियों को कुनबी जाति प्रमाणपत्र देने पर एक मसौदा अधिसूचना को कानून में बदलने के लिए राज्य विधानमंडल का एक विशेष सत्र बुलाने की मांग की है.


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