Maratha Reservation: आजाद मैदान में भूख हड़ताल नहीं कर पाएंगे मनोज जरांगे, मुंबई पुलिस ने बताई ये वजह
Manoj Jarange Protest in Azad Maidan: मुंबई पुलिस ने आजाद मैदान में मनोज जरांगे को प्रदर्शन और भूख हड़ताल की अनुमति नहीं दी है. पुलिस ने इसके पीछे कई कारण बताये हैं.
Maratha Reservation Protest: मराठा आरक्षण के लिए मुंबई तक मार्च करने वाले मनोज जारांगे पाटिल को पुलिस ने मुंबई के आजाद मैदान में भूख हड़ताल करने की अनुमति नहीं दी है. मनोज जारांगे कुछ ही घंटों में वह मुंबई में प्रवेश करने वाले थे. लेकिन उससे पहले मुंबई पुलिस ने पत्र लिखकर आजाद मैदान में भूख हड़ताल करने की इजाजत देने से इनकार कर दिया है. पुलिस ने यह भी कहा कि आंदोलन के लिए आरक्षित आजाद मैदान में इतनी क्षमता नहीं है. आजाद मैदान पुलिस ने मनोज जारांगे को उनके अनशन के लिए नवी मुंबई के खारघर के सेक्टर 29 में इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन पार्क मैदान का सुझाव दिया है. आजाद मैदान पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक नितिन तड़ाखे ने मनोज जारांगे को पत्र लिखकर कहा कि आजाद मैदान उपलब्ध नहीं है. इसमें उन्होंने कारण भी बताए हैं.
मुंबई पुलिस ने क्या कहा?
ABP माझा के मुताबिक, मुंबई देश की वित्तीय राजधानी है. लाखों लोग हर दिन मुंबई में नौकरियों के लिए ट्रेनों और परिवहन के अन्य साधनों से यात्रा करते हैं. यदि सकल मराठा समाज के प्रदर्शनकारी भारी संख्या में वाहनों के साथ मुंबई आते हैं, तो इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और मुंबई की दैनिक परिवहन व्यवस्था चरमरा जाएगी. हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक आजाद मैदान का सिर्फ 7000 वर्ग मीटर इलाका ही आंदोलन के लिए आरक्षित किया गया है. इसकी क्षमता 5000 से 6000 प्रदर्शनकारियों की है, लेकिन अगर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी वहां आ गए तो उनके रहने के लिए मैदान में पर्याप्त जगह नहीं होगी और सुविधाएं भी नहीं हैं. साथ ही मैदान का बाकी हिस्सा खेल विभाग के अधिकार क्षेत्र में है.
मुंबई की भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या, वाहनों की संख्या, संकरी सड़कें, वैकल्पिक सड़कों की अनुपलब्धता और अन्य आवश्यक सेवाओं पर प्रभाव को देखते हुए, मुंबई में समग्र सार्वजनिक व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. इसी तरह, जैसा कि हमने बार-बार कहा है, यह आंदोलन बहुत बड़ा है और मुंबई के किसी भी मैदान में इतनी बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को समायोजित करने की क्षमता नहीं है. चूंकि उक्त आंदोलन अनिश्चितकालीन है, इसलिए लंबे समय तक मुंबई में आवश्यक सुविधाएं प्रदान करना संभव नहीं होगा और इसका असर सार्वजनिक स्वास्थ्य और अन्य नागरिक सुविधाओं पर पड़ेगा.