Maratha Reservation Protest: मराठा आरक्षण की मांग का चेहरा बने मनोज जरांगे अब महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे से मिलने के लिए वाशी रवाना हुए हैं. यहां जरांगे सीएम शिंदे से मुलाकात करेंगे और इसके बाद वो अपना अनशन छोड़ेंगे. बता दें, महाराष्ट्र की सरकार ने मनोज जरांगे की सभी मांगे मान ली है और GR भी जारी कर दिया है.


मनोज जरांगे की क्या मांगें थी?
मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे ने शुक्रवार को एक नई मांग करते हुए कहा कि जब तक आरक्षण का लाभ पूरे मराठा समुदाय को नहीं मिल जाता तब तक महाराष्ट्र सरकार अपनी मुफ्त शिक्षा नीति में संशोधन करके सभी मराठों को इसका लाभ दे. पड़ोसी नवी मुंबई के वाशी इलाके में शिवाजी चौक पर एक रैली को संबोधित करते हुए जरांगे ने कहा कि वह दिनभर नवी मुंबई में ही रहेंगे.


मनोज जरांगे ने कहा कि मुफ्त शिक्षा नीति में संशोधन किया जाना चाहिए ताकि लड़कियों के अलावा लड़कों को भी मुफ्त शिक्षा मिले और सभी मराठों को ‘‘केजी से पीजी’’ (किंडरगार्टन से स्नातकोत्तर तक) तब तक मुफ्त शिक्षा मिलनी चाहिए जब तक कि पूरे समुदाय को आरक्षण का लाभ नहीं मिल जाता. जरांगे ने राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए 37 लाख कुनबी प्रमाणपत्रों का आंकड़ा मांगा है. कुनबी, एक कृषक समुदाय है जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आता है, और जरांगे सभी मराठों के लिए कुनबी प्रमाण पत्र की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने मुझे बताया है कि 54 लाख कुनबी रिकॉर्ड पाए गए हैं, जिनमें से 37 लाख प्रमाण पत्र दिए गए हैं.


ये लोग हैं कौन? हमें आंकड़े चाहिए.’’ उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकारी नौकरी में कुछ सीट मराठों के लिए आरक्षित रखकर भर्ती की जानी चाहिए. उन्होंने आरक्षण को लेकर किये गये प्रदर्शन के दौरान मराठा कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की भी मांग की है. इससे पूर्व राज्य के शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने संवाददाताओं से कहा कि जरांगे की मांगें मान ली गई हैं और उन्हें सरकारी प्रक्रिया के अनुसार पूरा किया जाएगा.


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