Maratha Reservation Protest: उपवास पर बैठे आरक्षण समर्थक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने सोमवार को किसी खास क्षेत्र में नहीं, बल्कि समूचे महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग की और चेतावनी दी कि यदि राज्य सरकार ने यह मांग नहीं मानी तो वर्तमान आंदोलन को बढ़ाया जाएगा. आरक्षण आंदोलन के दूसरे चरण के तहत जालना जिले के अंतरवली सराती गांव में 25 अक्टूबर से आमरण अनशन पर बैठे जरांगी ने स्थानीय लोगों और प्रदर्शन स्थल पर जुटे लोगों के मनुहार पर कुछ घूंट पानी पीया.


मनोज जरांगे ने दी ये चेतावनी
जरांगे (40) ने चेतावनी दी कि यदि आरक्षण आंदोलन का तीसरा चरण शुरू कर दिया गया तो सरकार बैठकें नहीं कर पायेगी. उन्होंने कहा, ‘‘ हम महाराष्ट्र में आरक्षण की मांग कर रहे हैं. राज्य के कुछ क्षेत्रों में आरक्षण से बात नहीं बनेगी. मराठा आरक्षण आंदोलन के तीसरे चरण के बाद सरकार एक भी बैठक नहीं कर पायेगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मेरी राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे-पाटिल के साथ बातचीत हुई थी. मैंने उनसे कहा था कि आरक्षण राज्य में सभी मराठों को दिया जाना चाहिए, न कि खास क्षेत्रों में रह रहे समुदाय के सदस्यों को. हम अधूरे तरीके से आरक्षण स्वीकार्य नहीं होगा. यदि वह किया जाता है तो आंदोलन नहीं रूकेगा.’’


राज्य सरकार द्वारा नियुक्त समिति मराठवाड़ा क्षेत्र में मराठा समुदाय के सदस्यों को कुंबी प्रमाणपत्र देने के लिए निजाम काल के दस्तावेजों, वंशावली, शैक्षिणक एवं राजस्व सबूतों, उस काल की संधियों, एवं अन्य संबंधित दस्तावेजों का परीक्षण कर रही है. महाराष्ट्र में कृषि कार्य से जुड़ा समुदाय कुंबी अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत आता है और उसे शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलता है. यदि मराठवाड़ा के मराठों को कुंबी प्रमाणपत्र मिल जाता है तो वे आरक्षण लाभ ले सकते हैं.


सरकार से की ये मांग
जरांगे ने कहा कि यदि आरक्षण की मांग नहीं मानी गयी तो देशभर के मराठा आंदोलन में शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि आंदोलनकारी आरक्षण मुद्दे का समाधान करने के लिए राज्य सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए जरांगे ने कहा , ‘‘आंदोलन शांतिपूर्ण है और सही दिशा में जा रहा है. मुख्यमंत्री को उन लोगो को नियंत्रित करना चाहिए जो बहुत अधिक बोल रहे हैं...’’ शिंदे ने कहा था कि जरांग को आरक्षण आंदोलन की दिशा को लेकर सावधान रहना चाहिए. उनका इशारा कुछ स्थानों पर हुई हिंसा की ओर था.


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