Maharashtra Assembly Elections 2024: महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन की फिर से भड़क सकती है. आरक्षण पर चल रहे आंदोलन के अगुवा मनोज जरांगे पाटिल ने महाराष्ट्र की शिंदे सरकार को 24 अक्टूबर तक का अल्टीमेटम दिया था. पाटिल ने दावा किया था कि अगर 24 अक्टूबर तक उनकी मांग नहीं मानी गई तो उसके बाद भूख हड़ताल  शुरू की जाएगी. मराठा आरक्षण को लेकर 1 सितंबर से आंदोलन चल रहा है, आंदोलनकारियों की कई मांगे हैं. 
 
इसमें मराठा समुदाय के लोगों को ओबीसी का दर्जा दिए जाने की मांग अहम है. साल 1948 तक मराठा समुदाय के लोगों को कुनबी माना जाता था जो ओबीसी में आते थे. ऐसे में आंदोलनकारियों की मांग है कि कुनबी जाति का दर्जा दिया जाए और ओबीसी में शामिल किया जाए. दरअसल मराठा आरक्षण ऐसा है जो कई जिलों में अपना प्रभाव रखा है सियासी समीकरण को देखें तो महाराष्ट्र में मराठाओं की आबादी लगभग 33 प्रतिशत के आसपास है जिनकी मांग ओबीसी में शामिल करने ही है.


Maratha Reservation News: मराठा आरक्षण पर अल्टीमेटम खत्म, क्या फिर शुरू होगा आंदोलन? मनोज जरांगे पाटील ने किया ये दावा


इन क्षेत्रों पर अच्छा प्रभाव
बता दें मराठाओं का पश्चिम महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, उत्तरी महाराष्ट्र में अच्छा प्रभाव है. विधानसभा की 288 सीटों में से 75 सीटों पर ये निर्णायक भूमिका में रहते हैं. लोकसभा चुनाव में भी यह मुद्दा अपना असर दिखा सकता है. दीगर है कि मराठा आरक्षण इतना आगे बढ़ चुका है, जिसको लेकर कई लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं


21 अक्टूबर 2023 को महाराष्ट्र के नांदेड़ में शुभम पवार ने जहर पीकर खुदकुशी की.18 अक्टूबर 2023  को मुंबई में सुनील कावले ने आत्महत्या की. 18 सितंबर 2023 को महाराष्ट्र के हिमायतनगर में सुदर्शन कामरीकर ने सुसाइड किया. 6 सितंबर 2023 को महाराष्ट्र के धाराशिव में एक किसान ने कुएं में कूदकर जान दे दी. लेकिन अब तक इसको लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है.


नौकरियों में भी हिस्सेदारी की मांग
मराठा समुदाय लगातार नौकरियों में भी हिस्सेदारी की मांग कर रहा है. अगर आंकड़ों पर नजर डाले तो राज्य के कुल अधिकारी और कर्मचारी 11 लाख  के करीब हैं. इनमें मराठाओं की हिस्सेदारी 18.20 प्रतिशत यानी 2 लाख है. सचिवालय में कुल कर्मचारी 4949 हैं, जिसमें 114 मराठा हैं. पुलिस बल की कुल संख्या एक लाख 83 हजार है जिसमें मराठाओं की संख्या 42 हजार है.
 
मराठा समुदाय महाराष्ट्र के सबसे प्रभावशाली समुदायों में से एक हैं. महाराष्ट्र के अंदर इस समुदाय का प्रभाव कितना ज्यादा है यह इससे भी समझा जा सकता है कि साल 1960 में महाराष्ट्र के गठन के बाद से अब तक यानी साल 2023 तक, प्रदेश के 20 मुख्यमंत्रियों में से 12 मुख्यमंत्री इसी समुदाय के हैं.