Maharashtra News: महाराष्‍ट्र सरकार की तरफ से राज्य में मराठी भाषा को बढ़ावा देने के लिए पहले ही हर स्कूल में 10वीं कक्षा तक मराठी भाषा पढ़ाना अनिवार्य कर दिया गया था. वहीं अब महाराष्ट्र स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा एक नया निर्देश जारी किया गया है. जिसके अनुसार 2025-26 के शैक्षणिक सत्र से मराठी का अब गैर-राज्य-बोर्ड स्कूलों जैसे सीबीएसई और आईसीएसई से संबद्ध स्कूलों में एक श्रेणीबद्ध विषय के रूप में मूल्यांकन नहीं किया जाएगा. मराठी विषय का मूल्यांकन अंकों के आधार पर होगा.


महाराष्ट्र स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश में स्पष्ट किया गया है कि मराठी के लिए पिछली ग्रेडिंग प्रणाली स्कूल बंद होने से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिए कोरोना के समय एक अस्थायी उपाय के रूप में शुरू की गई थी. अब इससे आगे बढ़ते हुए सभी स्कूल ग्रेड का नहीं बल्कि अंकों के आधार पर मराठी के छात्रों का मूल्यांकन करेंगे.


मराठी भाषा को बढ़ावा देने के लिए लिया था फैसला
बता दें कि इससे पहले साल 2020 में महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में मराठी भाषा को बढ़ावा देने के लिए एक अहम फैसला लिया था. जिसके अनुसार प्रदेश के सभी स्कूलों में 10वीं कक्षा तक मराठी भाषा पढ़ाना अनिवार्य कर दिया गया था. आदेश में कहा गया था कि उल्लंघन करने वाले स्कूल को दंड के तौर पर एक लाख रुपये तक का भुगतान करना पड़ेगा. इसको लेकर सदन में विधेयक भी पेश किया गया था, जिसे मंजूरी भी मिल गई थी. 


वहीं अब महाराष्ट्र स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा इस अनिवार्य विषय का मूल्यांकन अंकों के आधार पर करने का निर्णय लिया गया है. इससे स्पष्ट होता है कि ग्रेडिंग छूट एक बार का उपाय था. अप्रैल में घोषित की गई छूट केवल एक बैच के लिए लागू की गई थी. अब 2025-26 के सत्र से मराठी भाषा का एक बार फिर से मूल्यांकन किया जाएगा.


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