Mumbai News: महाराष्ट्र सरकार सभी स्कूलों में मराठी को अनिवार्य विषय के रूप में लागू करने जा रही है. यह सभी बोर्ड और मीडियम में लागू होगा. इसकी शुरुआत 2025-26 अकादमिक सत्र से होगी. इसकी घोषणा स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भूसे ने की. 


हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि महाराष्ट्र सरकार ने इस बात के संकेत दिए हैं कि पहले की रियायत खत्म होने जा रही है जिसमें कोरोना महामारी के कारण स्कूलों को छूट दी गई थी वे मराठी को ग्रेडेड विषय के रूप में देखें. भूसे ने कहा, ''स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि मराठी को मूल विषय के रूप में पढ़ाया जाए. इस अनिवार्यता को लागू करने की अनिच्छा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.''


सभी बोर्ड और मीडियम में होगा लागू


सरकार ने यह साफ किया है कि यह नियम सभी प्राइवेट, सीबीएससी, आईसीएसई, और अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में लागू होगा. नई नीति के तहत विद्यार्थियों का मूल्यांकन मार्क के आधार पर होगा जबकि पहले ग्रेडिंग का इस्तेमाल होता है. मार्क आधारित मूल्यांकन सभी बोर्ड के स्कूल में लागू होगा. साथ ही महाराष्ट्र की शिक्षा प्रणाली में मराठी को शामिल किया जाएगा.


शिक्षकों का लिया जाएगा टेस्ट


मंत्री दादा भुसे ने कहा कि स्कूल अक्सर मराठी से जुड़े निर्देशों को बायपास करते हैं विशेषकर अंग्रेजी मीडियम के स्कूल ऐसा करते हैं. इससे निपटने के लिए स्कूली शिक्षा विभाग इस पर बारीकी से नजर रखेगी कि नियम लागू किया गया है या नहीं. अब स्कूल के टीचर पर भी नजर रहेगी यानी जो मराठी विषय में पारंगत हैं वह पढ़ाएंगे. स्कूली शिक्षा विभाग मराठी भाषा को लेकर टीचर की परीक्षा भी लेंगे.


जिनकी पढ़ाई मराठी में नहीं हुई है उनकी भी परीक्षा ली जाएगा. भूसे ने कहा कि अंग्रेजी में निपुणता जरूरी है उसी तरह महाराष्ट्र में मराठी के महत्व को दरकिनार नहीं किया जा सकता. इस भाषा को क्लासिकल भाषा का दर्जा केंद्र द्वारा दिया गया और हम शिक्षा के जरिए इस विरासत को बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं.


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