Maharashtra News: महाराष्ट्रस नवनिर्माण सेना (MNS) ने वर्ली विधानसभा के लिए रणनीति बनाना शुरू कर दी है. अगले शनिवार को एमएनएस ने 'वर्ली विजन' नाम से एक कार्यक्रम का आयोजन किया है. वर्ली की जनता की विभिन्न समस्याओं को लेकर इसे पेश किया जाएगा. माना जा रहा है कि वर्ली विधानसभा के लिए मनसे हाईटेक घोषणा पत्र पेश करने वाली है. इस कार्यक्रम का उद्घाटन राज ठाकरे करेंगे. दरअसल, वर्ली में शिवसेवा-यूबीटी बनाम एमएनएस की सीधी लड़ाई होने वाली है. यह उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे की सीट है.


2006 में राज ठाकरे ने खुद की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना पार्टी बनाई उस वक्त से लेकर आज तक यानी 18 साल से यह राज्य दोनों भाइयों की लड़ाई देख रहा है. 

मराठी मानुष का मुद्दा हो या फिर हिंदुत्व का राज और उद्धव की पार्टी का एक ही अजेंडा रहा है. इसका मतलब साफ है कि दोनों पार्टियों के वोटरों की भी विचारधारा एक ही है. आने वाली विधानसभा चुनाव में वोटरों का बंटना तय है. लेकिन दोनों भाइयों की लड़ाई में फायदा किसे होगा? महाविकास अघाड़ी या महायुति?


दोनों ठाकरे में कौन ताकतवर?
उद्धव ठाकरे के पार्टी का जन्म 1966 में हुआ और राज ठाकरे की एमएनएस की शुरुआत 2006 में हुई. 2009 में राज ठाकरे पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़े उस समय ठाकरे के 13 विधायक जीत कर आए थे. इसी चुनाव में उद्धव ठाकरे के 44 विधायक जीते थे. 2014 और 2019  राज ठाकरे की पार्टी के एक-एक विधायक चुनकर आए थे. उसकी तुलना मे उद्धव ठाकरे के 2014 में 63 और 2019 में 56 विधायक जीतकर आए थे. 2009 से 2019  तक उद्धव ठाकरे बीजेपी के साथ गठबंधन में थे और राज ठाकरे शुरुआत से अकेले के दम पर लड़ते आए हैं. 2014 के बाद राज ठाकरे सिर्फ वोट कांटने का काम करते आए हैं और इसका फायदा बाकी पार्टियों को होता रहा है. 


क्या महायुति के साथ आएंगे राज ठाकरे? 
एमएनएस ने लोकसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी को समर्थन का ऐलान किया था लेकिन विधानसभा राज ठाकरे बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले हैं. हालांकि बीजेपी और सीएम शिंदे से दोस्ती का हाथ मिलाने की भी संभावना है क्योंकि अगर राज ठाकरे खुद क बल पर लड़ते हैं तो मराठी वोटों में बंटवारा हो सकता है. यह टालने के लिए शिंदे और फडणवीस राज ठाकरे को मना सकते हैं.


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