लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत का बड़ा बयान आया है. उन्होंने कहा कि विरोधी की जगह प्रतिपक्ष कहना चाहिए. चुनाव सहमति बनाने की प्रक्रिया है. चुनाव के आवेश से मुक्त होकर देश के सामने उपस्थित समस्याओं पर विचार करना होगा. उन्होंने बिना किसी दल का नाम लिए नसीहत दी है. नागपुर में 'कार्यकर्ता विकास वर्ग' को संबोधित करते हुए उन्होंने ये बात कही.
हर पांच सालों में चुनाव होता है- संघ प्रमुख
संघ प्रमुख ने कहा, "बाहर तो वातावरण दूसरा है. चुनाव संपन्न हुए, इसके परिमाण भी आए. कल सरकार भी बन गई. ये सब हो गया लेकिन उसकी चर्चा अभी तक चल रही है. जो हुआ वो क्यों हुआ, कैसे हुआ, क्या हुआ ये अपने देश के प्रजातांत्रिक तंत्र में प्रति पांच वर्ष होने वाली घटना है, होती है. उसके अपने नियम हैं. डायनेमिक्स हैं उसके अनुसार होता है."
'समाज ने अपना मत दे दिया'
इसके साथ ही उन्होंने कहा, "अपने देश के संचालन के लिए कुछ निर्धारण करने वाला प्रसंग है, महत्वपूर्ण है...समाज ने अपना मत दे दिया, उसके अनुसार सब होगा. क्यों, कैसे इसमें संघ के हम लोग नहीं पड़ते. हम अपना कर्तव्य करते रहे...'
हमें खुद में बदलाव करना है- मोहन भागवत
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने ये भी कहा, "शक्ति के साथ शील बनो. शील अपना अपने धर्म और संस्कृति से आता है. जो सत्य के बाद अहिंसा को कहता है. सबके प्रति सदभावना को कहता है. सब के प्रति सदभावना को लेकर पुरानी बातों को भूलकर सबको अपनाना और हम एक दूसरे को अपना सकें इसलिए हमें खुद में बदलाव करना है. अपने घर से उसे प्रारंभ करना है."
'भेदभाव दूर करना होगा'
संघ प्रमुख ने कहा कि भेदभाव की ओर इशारा करते हुए कहा कि हजारों वर्षों से जो पाप हमने किए हैं, उसे दूर करना होगा.
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