Cough Desi Treatment: मुंबई के डॉक्टरों ने पिछले दो महीनों में वायरल बीमारी से पूरी तरह ठीक होने के बाद पुरानी खांसी वाले रोगियों में वृद्धि देखी है. इस बीमारी से वयस्कों की तुलना में बच्चे अधिक प्रभावित हो रहे हैं. चिकित्सकीय रूप से इसे वायरल खांसी कहा जाता है. शहर के डॉक्टरों का कहना है कि दिसंबर से बच्चे और वयस्क इससे जूझ रहे हैं, यहां तक कि राहत के लिए स्टेरॉयड की भी जरूरत पड़ रही है. विशेषज्ञों ने सांस की शिकायत से लंबे समय तक इस पीड़ा के लिए प्रदूषण और स्मॉग से भरी हवा में सांस लेने को जिम्मेदार ठहराया है.
क्या कहते हैं डॉ.?
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. संपदा ने कहा, "लगभग 70 फीसदी बच्चे वायरल बीमारी के बाद तीन से आठ सप्ताह और उससे अधिक समय तक पुरानी खांसी की शिकायत करते हैं. उनमें से अधिकांश को राहत के लिए फोराकोर्ट जैसे स्टेरॉयड की आवश्यकता होती है, क्योंकि खांसी बहुत परेशान करने वाली होती है." कई मामलों में, तीन सप्ताह से अधिक समय तक खांसी वाले लोगों को इनहेल्ड कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (आईसीएस) दिया जाता है.
खांसी के पीछे की वजह?
केईएम अस्पताल के पूर्व बाल रोग प्रमुख डॉ. मुकेश अग्रवाल ने कहा कि प्रदूषण और इसके कारण होने वाली धुंध की मोटी परत बच्चों के लिए समस्या और अधिक गंभीर बना रही है. सुबह के समय जोखिम सबसे ज्यादा होता है जब हवा में प्रदूषण का स्तर अधिक होता है. डॉ. अग्रवाल ने कहा कि सांस लेने संबंधी बीमारियां सामान्य तापमान बढ़ने के साथ ठीक होने लगती है.
डॉ. साल्वी के अनुसार, इनहेल्ड स्टेरॉयड ही एकमात्र ऐसी दवाएं हैं जो काम करती हैं और उपचार को तेज करती हैं. हालांकि, अग्रवाल ने यहां मतभेद रखते हुए कहा कि ज्यादातर मामलों में यह खुद-ब-खुद ठीक हो जाता है. उन्होंने कहा, "दिन में दो से तीन बार गरारे करना ज्यादातर मामलों में प्रभावी ढंग से काम करता है," बाल रोग विशेषज्ञ ने बताया कि दिसंबर और जनवरी की तुलना में केसों की संख्या में थोड़ी कमी आई है. मुंबई और पुणे के डॉक्टरों ने निर्माण गतिविधियों को दोनों शहरों में खांसी का कारण बताया है.
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