(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Mumbai Pollution: खतरे में मुंबईकरों की जान! 'खराब हवा से कैंसर और हृदय रोग का रिस्क', विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
Mumbai Air Pollution: मुबंई में लगातार बढ़ रहा वायु प्रदूषण लोगों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि खराब हवा कैंसर, हृदय रोग और मधुमेह की समस्याओं को जन्म दे सकती है.
Mumbai AQI Today: एक ओर जहां महाराष्ट्र सरकार और बृहन्मुंबई नगर निगम मुंबई और अन्य शहरों में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए चिंतित हैं, वहीं दूसरी तरफ शीर्ष चिकित्सा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि खराब हवा कैंसर, हृदय रोग और मधुमेह सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकती है. मानसून की विदाई के बाद, पिछले दो महीने में मुंबई, ठाणे, पुणे और राज्य के अन्य स्थानों में रिकॉर्ड प्रदूषण स्तर के कारण सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा दुर्लभ हो गई है. इसने न केवल प्रतिष्ठान और आम नागरिक, बल्कि चिकित्सक भी चिंतित हैं. मैया सोशल फ्रंट फाउंडेशन नामक एनजीओ की सह-संस्थापक डॉ. दिव्या सिंह और फिटरफ्लाई के सीईओ डॉ. अरबिंदर सिंगल ने इस मुद्दे पर आईएएनएस से खुलकर बात की.
क्या कहते हैं डॉ.?
डॉ. सिंह, जो दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में वरिष्ठ सर्जन भी हैं, ने कहा, "मुंबई अपनी हलचल भरी ऊर्जा के लिए जाना जाता है, लेकिन वर्तमान में यह 'मूक स्वास्थ्य संकट' का सामना कर रहा है क्योंकि पिछले कुछ सप्ताहों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है." उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सप्ताह में मुंबई का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 200 के आसपास रहा है, और निगरानी स्टेशनों के आंकड़ों से पता चला है कि कुछ इलाकों में पार्टिक्यूलेट मैटर (पीएम) का स्तर अनुशंसित स्तर से दोगुना या तिगुना दर्ज किया गया है.
डॉ. सिंगल ने भी ऐसी ही राय व्यक्त करते हुये कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और बीएमसी के स्वास्थ्य विभाग ने अगस्त-दिसंबर 2021 में एक सर्वेक्षण कराया था. इसमें 5,199 लोगों में से हर तीसरा व्यक्ति उच्च रक्तचाप से और पांच में से एक मधुमेह पीड़ित था.
डॉ. ने मधुमेह को लेकर चेताया
डॉ. सिंगल ने कहा, "साथ ही, सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से लगभग 15 प्रतिशत मधुमेह की कगार पर थे. आठ प्रतिशत लोग उच्च रक्तचाप और मधुमेह दोनों से पीड़ित थे." विशेषज्ञों ने कहा कि मुंबई में वर्तमान पीएम2.5 का स्तर डब्ल्यूएचओ के 24 घंटे के वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों की अनुशंसित सीमा से 2.9 गुना अधिक है. इनमें कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन और नाइट्रोजन प्रमुख प्रदूषक हैं - जिससे हवा लगभग जहरीली हो जाती है. डॉ. सिंह ने कहा कि एक्यूआई खतरे की सीमा को पार करने के साथ, बच्चों से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक मुंबईवासी अशुद्ध हवा में सांस लेने के कारण श्वसन संबंधी समस्याओं की चपेट में आ रहे हैं.
सांस संबंधी बिमारी में इजाफा
उन्होंने कहा, “उच्च स्तर के वायु प्रदूषण के संपर्क में आने वालों को खांसी, घरघराहट और सांस फूलने जैसे श्वसन संबंधी लक्षणों का खतरा होता है. अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी पहले से मौजूद स्थितियों वाले लोगों के गंभीर रूप से प्रदूषित हवा में ज्यादा समय तक रहने से और गंभीर बीमारी पैदा कर सकती है.” डॉ. सिंगल ने कहा कि हाल के दिनों में मुंबई का वायु प्रदूषण दिल्ली से अधिक हो गया है, यह बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियाँ पैदा करता है और टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों को अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है.
डॉ. सिंगल ने चेतावनी दी, "अध्ययनों ने संकेत दिया है कि शहर के ऊंचे वायु प्रदूषकों, जैसे पीएम और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के संपर्क में आने से इंसुलिन प्रतिरोध और प्रणालीगत सूजन हो सकता है, जिससे इस तरह के टाइप 2 मधुमेह के खतरे बढ़ सकते हैं."
उन्होंने कहा कि जिन लोगों का पहले ही निदान हो चुका है, ऐसे बढ़े हुए प्रदूषण स्तर से उनकी स्थिति खराब हो सकती है, जिससे रक्त शर्करा का स्तर बढ़ सकता है और संभावित हृदय संबंधी जटिलताएं हो सकती हैं. डॉ. सिंह ने कहा कि लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने का सीधा संबंध "फेफड़ों की कार्यप्रणाली में गिरावट" से है, जिससे संभावित रूप से कुछ समय के बाद श्वसन स्वास्थ्य खराब हो सकता है. डॉ. सिंह ने कहा, "इसके अलावा, वायु प्रदूषण श्वसन प्रणाली की सुरक्षा को नष्ट कर देता है, जिससे व्यक्ति क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और यहां तक कि फेफड़ों के कैंसर सहित श्वसन संक्रमण और विकारों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है."
डॉ. सिंगल और डॉ. सिंह चरम प्रदूषण के समय घर के अंदर रहने, वायु शोधक का उपयोग करने, नियमित शारीरिक गतिविधि के साथ संतुलित आहार, उत्सर्जन को कम करने के उद्देश्य से सरकार, पर्यावरण समूहों और आम लोगों के सहयोग, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने, स्वच्छ ऊर्जा समाधान अपनाने और औद्योगिक उत्सर्जन आदि के लिए कड़े प्रवर्तन के साथ सख्त नियम जैसे सावधानियों का सुझाव देते हैं.