Mumbai News: पति को आत्महत्या के लिए उकसाने की आरोपी गर्भवती महिला को हाई कोर्ट ने दी जमानत, जानें क्या कहा?
Bombay High Court: पति को आत्महत्या के लिए उकसाने की आरोपी गर्भवती महिला को बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने यह कहते हुए जमानत दे दी कि वह 25 सप्ताह की गर्भवती है.
Maharashtra News: बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने अपने पति को आत्महत्या के लिए उकसाने की आरोपी गर्भवती महिला को यह कहते हुए अग्रिम जमानत दे दी है कि महिला और गर्भस्थ शिशु की सुरक्षा सुनिश्चित करना अदालत का कर्तव्य है. न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की अवकाशकालीन पीठ ने 30 मई के अपने आदेश में कहा, ''महिला के खिलाफ दर्ज अपराध गंभीर है, लेकिन याचिकाकर्ता गर्भवती महिला है, इसलिए यह सुनिश्चित करना अदालत का कर्तव्य है कि उसकी और बच्चे की रक्षा की जाए." आदेश की एक प्रति बुधवार को उपलब्ध कराई गई थी.
महिला बनने वाली है मां
महिला अश्विनी सोनवणे मृतक के बच्चे की मां बनने वाली हैं. वह छह महीने की गर्भवती हैं. उसने अपने ससुर द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के उपरांत इस साल अप्रैल में भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत पुणे के यवत पुलिस स्टेशन में अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में गिरफ्तारी की आशंका के मद्देनजर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.
पति ने अप्रैल में किया था आत्महत्या
सोनवणे के पति राहुल द्वारा अप्रैल में कथित तौर पर आत्महत्या करने के बाद यह शिकायत दर्ज कराई गई थी. मृतक के पिता ने दावा किया है कि सोनवणे ने उनके बेटे को धोखा दिया है और घटना से एक महीने पहले, उसने (सोनवणे ने) उनके बेटे के साथ झगड़ा किया था और अपने माता-पिता के घर चली गई थी. हालांकि, सोनवणे ने अपनी याचिका में आरोपों का खंडन किया और दावा किया है कि उसके ससुर उससे दहेज की मांग कर रहे थे, जिसके कारण उसका पति तनाव में था.
महिला है 25 सप्ताह की गर्भवती
महिला ने आगे कहा कि उसके पति के साथ उसके संबंध सौहार्दपूर्ण थे और कथित घटना के समय वह तीन महीने की गर्भवती थी. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि दर्ज अपराध गंभीर है और दोषी पाए जाने पर अधिकतम 10 साल की सजा हो सकती है. न्यायमूर्ति जाधव ने अपने आदेश में कहा, "हालांकि इस तथ्य को देखते हुए कि याचिकाकर्ता 25 सप्ताह की गर्भवती है, यह सुनिश्चित करना अदालत का समान रूप से कर्तव्य है कि याचिकाकर्ता और उसके गर्भ में पल रहा बच्चा इस स्तर पर सुरक्षित रहे और याचिकाकर्ता को किसी भी दबाव या तनाव में नहीं रखा जाए.''
क्या कहा अदालत ने?
अदालत ने कहा कि इस स्तर पर, याचिकाकर्ता को नियमित रूप से अस्पताल जाना पड़ सकता है और प्रसव के बाद देखभाल और आराम की भी आवश्यकता हो सकती है. उच्च न्यायालय ने महिला को 25,000 रुपये के निजी मुचलके पर अग्रिम जमानत देते हुए उसे बयान दर्ज कराने के लिए संबंधित थाने में पेश होने का भी निर्देश दिया.
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