कोर्ट ने पैरोल पाने को लेकर अयोग्य ठहराया
जेल अधिकारियों ने इस आधार पर उसका आवेदन खारिज कर दिया था कि वह जेल (बंबई फर्लो और पैरोल) नियमों के प्रावधानों के तहत पैरोल पाने के योग्य नहीं है. इसके बाद उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि नियमों में एक विशिष्ट प्रावधान है, जो टाडा के तहत एक दोषी को नियमित पैरोल का लाभ पाने के लिए अयोग्य ठहराता है.
कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि उन कैदियों को नियमित पैरोल पर रिहा किए जाने पर पाबंदी है, जो आतंकवादी अपराधों के तहत दोषी ठहराए गए हैं. टाडा आतंकवाद से जुड़े अपराधों के बारे में हैं.
हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को टाडा के तहत दोषी ठहराया गया और इसलिए वह नियमित पैरोल पाने का हकदार नहीं होगा. शेख ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 2017 के एक फैसले को आधार बनाया था, जिसमें कहा गया था कि अगर एक अपराधी को टाडा प्रावधानों के तहत दोषी पाया जाता है, तो भी वह नियमित पैरोल मांगने का हकदार होगा.
हालांकि हाईकोर्ट ने इस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और कहा कि संबंधित मामले में कैदी राजस्थान से था और इसलिए वह महाराष्ट्र में कैदियों के लिए तय नियमों द्वारा शासित नहीं है.
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