Mumbai News: मुंबई शहर को मिला पहला खास रिसर्च सेंटर, यहां लोगों की खुशी पर होगा शोध
Mumbai शहर को आज बेदह ही खास सौगात मिली है. दरअसल शहर को खुशी में सुधार के तरीकों और उपकरणों का अध्ययन करने के लिए एक डेडीकेटेड रिसर्च सेंटर मिल गया है.
Mumbai News: मुंबई शहर को आज खुशी में सुधार के तरीकों और उपकरणों का अध्ययन करने के लिए एक डेडीकेटेड रिसर्च सेंटर मिल गया है. हैप्पीप्लस कंसल्टिंग, एआई और मशीन लर्निंग (एमएल)-सक्षम एचआर कंसल्टेंसी और राज्य सरकार द्वारा संचालित सिडेनहैम इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च एंड एंटरप्रेन्योरशिप एजुकेशन (SIMSREE) के सहयोग से हैप्पीनेस रिसर्च सेंटर शुरू किया जा रहा है. यह महाराष्ट्र में अपनी तरह का पहला शोध केंद्र है. SIMSREE और हैप्पीप्लस के अधिकारियों ने कहा कि केंद्र नागरिकों, विशेषकर छात्रों के जीवन को बेहतर बनाने के तरीकों की पहचान करने के लिए अनुसंधान और शिक्षण आयोजित करेगा. यह अभूतपूर्व रिसर्च और ज्ञान के प्रसार के माध्यम से किया जाएगा.
SIMSREE के डायरेक्टर ने बताई ये बात
इस तरह के रिसर्च सेंटर की आवश्यकता के बारे में बताते हुए, SIMSREE के निदेशक डॉ श्रीनिवास धुरे ने कहा कि, खुशी पर शोध से पता चला है कि खुश कर्मचारी भी अधिक प्रोडक्टिव होते हैं. उन्होंने कहा कि "कई तरह के शोधों में पाया गया है कि खुश रहने वाले लोग स्वस्थ रहते हैं और खुश रहने वाले व्यक्ति में रोग प्रतिरोधक क्षमता का स्तर भी अधिक रहता है. हमारे पास एक शोध केंद्र है, लेकिन एक खुशी अनुसंधान केंद्र शुरू करने से हम चरित्र के साथ अच्छे मैनेजर का विकास कर सकेंगे."
इन पहलुओं पर होगा काम
यह महाराष्ट्र का पहला हैप्पीनेस रिसर्च सेंटर है. प्रारंभ में, योजना खुशी सूचकांक को मापने के लिए रिसर्च करने की है, जो अपने आप से काम को वृद्धि की ओर ले जाती है. निदेशक ने बताया कि हमारे छात्रों द्वारा उद्योगों और कंपनियों में खुशी के अंशों पर शोध किया जाएगा. सरकारी नीतियों को तैयार करने और यहां तक कि हमारे प्रबंधन पाठ्यक्रम में जोड़ने के लिए निष्कर्षों का प्रस्ताव किया जा सकता है. धुरे ने आगे कहा, "प्रबंधन में नियमित पाठ्यक्रमों में व्यक्तित्व विकास, सार्वजनिक स्पीकिंग को संवारना आदि शामिल हैं.
हालांकि, हम इसमें एक और पहलू जोड़ना चाहते हैं - चरित्र निर्माण. इसके कई आयाम हैं. सबसे महत्वपूर्ण है खुश और शांत रहना. हम समझते हैं कि एक सामान्य पाठ्यक्रम होने से अब ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, हम एक ऐसे युग में हैं जहां हमें चरित्र के साथ प्रबंधकों को प्रशिक्षित और विकसित करने की आवश्यकता है."