Mumbai News: मुंबई पुलिस ने मोटर चालकों द्वारा गलत दिशा में ड्राइविंग के लिए जब से प्राथमिकी दर्ज करना शुरू किया उसके महीनों बाद अलग-अलग मामलों में बुक किए गए चार लोगों को मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने बरी कर दिया. अदालत ने लोगों पर कार्रवाई करते हुए पुलिस द्वारा प्रक्रिया का पालन नहीं करने के कारण इन लोगों को बरी किया है.


बीते मार्च में तत्कालीन नगर पुलिस आयुक्त संजय पांडेय ने विभाग को निर्देश दिया था कि गलत दिशा में गाड़ी चलाते हुए पकड़े जाने वालों सहित उल्लंघनकर्ताओं पर एफआईआर दर्ज किए जाने का आदेश दिया था. उल्लंघन करने वालों पर सिर्फ जुर्माना भरने के बजाय भारतीय दंड संहिता या मोटर वाहन अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाना था.


पूर्व पुलिस आयुक्त संजय पांडेय ने कही थी ये बात


पांडे ने फेसबुक लाइव से बातचीत में कहा था कि सड़क के गलत साइड पर वाहन चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी है और उल्लंघन बड़े पैमाने पर हुआ है. एक दिन के भीतर, उल्लंघनकर्ताओं और एमवी अधिनियम की धारा 184 (खतरनाक तरीके से ड्राइविंग) के खिलाफ आईपीसी की तेज और लापरवाही से ड्राइविंग की धाराओं के तहत 30 से अधिक अपराध दर्ज किए गए. कम से कम चार आरोपियों के संबंध में पिछले सप्ताह जारी आदेशों में, जिन्होंने उल्लंघन के लिए दोषी नहीं होने का अनुरोध किया, अदालत ने उन्हें एमवी अधिनियम के तहत नोटिस के अनुपालन के अभाव में बरी कर दिया.


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अदालत ने की ये टिप्पणी


अदालत ने कहा कि “आरोपी पर मोटर वाहन अधिनियम की धारा 184 के तहत दंडनीय अपराध का भी आरोप है. हालांकि, एमवीए की धारा 184 के तहत दंडनीय अपराध को आकर्षित करने के लिए एमवीए की ही धारा 209 के तहत नोटिस अनिवार्य है. माना जाता है कि जांच अधिकारी द्वारा आरोपी को एमवीए की धारा 209 के तहत कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था. इसलिए, एमवीए की धारा 209 के तहत नोटिस के अनुपालन के लिए और एमवीए की धारा 184 के तहत दंडनीय अपराध आकर्षित नहीं होता है.” अदालत ने मोटर चालकों को आईपीसी की धारा 279 (तेज और लापरवाही से ड्राइविंग) के तहत यह कहते हुए बरी कर दिया कि पुलिस द्वारा कोई स्वतंत्र गवाह दर्ज नहीं किया गया था. एक मामले में मालाबार हिल पुलिस ने गलत दिशा में गाड़ी चलाने के आरोप में दो लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.


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