Mumbai Gateway of India Crack: मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया विशाल अरब सागर के तट पर है. गेटवे ऑफ इंडिया को मुंबई शहर के केंद्र बिंदु के रूप में देखा जाता है. 113 वर्षों से यह वास्तु समुद्र की लहरों और तूफानों का सामना करते हुए आज भी मजबूती से खड़ा है. हालांकि, यह बात सामने आई है कि इस गेटवे ऑफ इंडिया में दरार आ गई है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला?
पता चला है कि 113 साल पुराने गेटवे ऑफ इंडिया में दरार आ गई है. यह पाया गया है कि स्ट्रक्चरल ऑडिट में दरारें हैं. क्या 'गेटवे' के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव स्वीकार करेगी सरकार? ऐसा सवाल उठाया गया है. गेटवे ऑफ इंडिया न केवल मुंबई का एक स्मारक है बल्कि देश की पहचान है. अंग्रेजों ने इस ढांचे का निर्माण 1911 में किया था. और साल 1924 में इसे आम जनता के लिए खोल दिया गया. लेकिन, 100 साल से अधिक पुरानी संरचना में दरार आ गई है.
जब भी कोई चक्रवात मुंबई से गुजरता है तो गेटवे ऊंची लहरों की चपेट में आ जाता है..लेकिन, इस तूफान के बाद..एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात देखी गई. यह देखा गया कि पिछले साल के चक्रवात में संरचना क्षतिग्रस्त हो गई थी. इस संबंध में पिछले सप्ताह संस्कृति मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के ध्यान में यह मामला लाया गया है.
क्या वाकई गेटवे ऑफ इंडिया की इमारत में दरार आ गई है?
1911 की इस संरचना को 1924 में जनता के लिए खोल दिया गया था. गेटवे ऑफ इंडिया का स्ट्रक्चरल ऑडिट हाल ही में किया गया था. वहीं ऑडिट के मुताबिक बिल्डिंग के अग्रभाग में दरारें देखी गई थीं. बिल्डिंग पर कई जगहों पर पौधे भी उगते देखे गए. वहीं, गुंबद में लगी वॉटरप्रूफिंग और सीमेंट कंक्रीट को भी नुकसान पहुंचा है.
उसके बाद राज्य पुरातत्व और स्थापत्य निदेशालय ने जीर्णोद्धार के लिए शासन को 6.9 करोड़ का प्रस्ताव सौंपा है. जिसे अभी मंजूरी का इंतजार है. गेटवे ऑफ इंडिया को एक वास्तुशिल्प कृति के रूप में जाना जाता है. यह प्रवेश द्वार इंग्लैंड के राजा जॉर्ज पंचम की यात्रा के उपलक्ष्य में बनाया गया था. आजादी के बाद जब ब्रिटिश साम्राज्य के अंतिम सैनिक भारत से निकले तो वे इसी ढांचे से गुजरे. जिसके बाद भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का प्रभुत्व समाप्त हो गया.
भारत का प्रवेश द्वार माने जाने वाले इस नगर ने इस स्थापत्य कला को संजोकर रखा है. कई फिल्मों के जरिए यह वास्तु लोगों के घरों और दिमाग तक पहुंचा. हालांकि, रिपोर्टें सामने आई हैं कि वर्तमान संरचना खतरनाक स्थिति में है. ऐसे में देखना यह होगा कि सरकार इस मामले में अब क्या कदम उठाती है.
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