Ghatkopar Hoarding Incident: मुंबई के घाटकोपर इलाके में होर्डिंग गिरने से 17 लोगों की मौत के मामले की जांच कर रही मुंबई क्राइम ब्रांच की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने आज मुंबई की कोर्ट में चार्जशीट दायर की. इस चार्जशीट में मामले की जांच को लेकर कहीं हम खुलासे किए गए हैं.
निलंबित आईपीएस अधिकारी कैसर खालिद, जो पहले रेलवे पुलिस (जीआरपी) के कमिश्नर थे, और उनके बाद IPS अधिकारी रवींद्र शिसवे, आये जो कि वर्तमान में GRP कमिश्नर हैं दोनों ने घाटकोपर होर्डिंग गिरने के संबंध में मुंबई क्राइम ब्रांच की एसआईटी के सामने अपने बयान दर्ज करवाए हैं.
खालिद ने अपने बयान में दावा किया की उन्होंने पुलिस के कल्याण के लिए ही होर्डिंग लगाने की अनुमति दी थी और उन्होंने कुछ भी अवैध नहीं किया. हालांकि, उन्होंने होर्डिंग की अनुमति देने में जो अनियमितता दिखाई दे रही है उस संदर्भ में संतोषजनक जवाब नही दिया. खालिद ने जिम्मेदारी वर्तमान कमिश्नर शिसवे पर डाल दी, यह कहते हुए कि उनके कार्यभार संभालने के बाद जो कुछ भी हुआ, उसकी जिम्मेदारी शिसवे की है.
सूत्रों के अनुसार, जीआरपी कमिश्नर बनने के बाद होर्डिंग की अवैधता के संदर्भ में मिली शिकायतो को एड्रेस न करने को लेकर शिसवे का बयान दर्ज किया गया. एसआईटी ने शुक्रवार को मुंबई के 37वें एस्पलेनेड कोर्ट में 3,299 पन्नों की चार्जशीट दायर की. इस चार्जशीट में 102 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं, जिसमे 6 जीआरपी अधिकारी, 2 BMC अधिकारी और 90 वो लोग हैं जो इस हादसे में जख्मी हुए थे और मृतकों के रिश्तेदारों के बयान भी दर्ज किए गए हैं.
चार्जशीट में चार गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. भव्येश भिंडे, ईगो मीडिया के निदेशक और मालिक, मनोज रामकृष्ण सांगू, बीएमसी अप्रूव्ड स्ट्रक्चरल इंजीनियर और जानवी मराठे, ईगो मीडिया की पूर्व निदेशक और उनके सहयोगी सागर पाटिल जिसने 140x120 फुट होर्डिंग नींव को पर्याप्त गहरा और मजबूत नहीं बनाया.
चार्जशीट के अनुसार, जीआरपी और बीएमसी अधिकारियों की भूमिकाओं का पता लगाने के लिए सीआरपीसी की धारा 173(8) के तहत जांच जारी रहेगी. चार्जशीट में दो बीएमसी अधिकारियों और छह जीआरपी अधिकारियों के बयान भी शामिल हैं, जिनमें शिसवे भी शामिल हैं.
निलंबित आईपीएस खालिद के खिलाफ क्या आरोप है?
एसआईटी के अनुसार, खालिद ने यह जानते हुए भी कि जनवरी 2021 में क्षेत्राधिकार और कानूनी त्रुटियों के कारण घाटकोपर में होर्डिंग के लिए प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, तब भी बिना किसी टेंडर के और डीजीपी कार्यालय से अनुमति प्राप्त किए बिना होर्डिंग की अनुमति दी, जो की लेनी अनिवार्य थी.
उन्होंने 18 दिसंबर 2022 को जीआरपी कार्यालय में अपने अंतिम दिन इसे मंजूरी दे दी. उनका ट्रांसफर आर्डर 16 दिसंबर को आया था और उन्होंने शिसवे को 18 दिसंबर को कार्यभार सौंपने से पहले होर्डिंग की अनुमति देने के लिए डाक्यूमेंट्स पर हस्ताक्षर किए, जो मुंबई में 80x80 सीमा का उल्लंघन है.
चार्जशीट के मुताबिक डीजीपी कार्यालय को यह पता नहीं था कि खालिद ने अनुमति दी थी. जीआरपी कमिश्नर के रूप में कार्यभार संभालने के बाद शिसवे ने अवैध होर्डिंग को नियमित करने के लिए एक प्रस्ताव भेजा. जिसके बाद डीजीपी कार्यालय ने खालिद के खिलाफ इंटरनल जांच शुरू की.
होर्डिंग गिरने के बाद डीजीपी कार्यालय ने रेलवे ADG से रिपोर्ट मांगी. डीजीपी कार्यालय ने अपनी जांच भी की और खालिद को निलंबित करने की सिफारिश की. विभाग ने 25 जून को रिपोर्ट के आधार पर खालिद को निलंबित कर दिया.
खालिद ने अपने बयान में क्या कुछ कहा?
एसआईटी के अनुसार, ईगो मीडिया को होर्डिंग कॉन्ट्रेक्ट देने से पहले उचित प्रक्रियाओं का पालन करने में खामियों और अनियमितताओं के बारे में खालिद का जवाब संतोषजनक नहीं था.
खालिद ने दावा किया कि उन्होंने कुछ भी अवैध नहीं किया और उनके जो भी किया वो पुलिस कल्याण निधि के लाभ के लिए थे. जब उनसे पूछा गया कि टेंडर क्यों नहीं जारी किया गया और डीजीपी की अनुमति क्यों नहीं ली गई, तो उन्होंने कहा कि डीजीपी कार्यालय ने ईगो मीडिया को तीन समान होर्डिंग की अनुमति दी थी, इसलिए उसी हिसाब से वे आगे बढ़े.
हालांकि, जब एसआईटी ने जमीन राज्य सरकार की होने और बीएमसी लाइसेंसिंग अथॉरिटी होने के बावजूद अनियमितताओं के बारे में पूछा, तो खालिद ने संतोषजनक उत्तर नहीं दिया. उन्होंने यह भी कहा कि उनके कार्यभार सौंपने के बाद जो कुछ भी हुआ, उसकी जिम्मेदारी उनकी नहीं है.
शिसवे ने अपने बयान में क्या कहा?
सूत्रों के अनुसार, शिसवे के बयान को घाटकोपर के पूर्व नगरसेवक द्वारा होर्डिंग मामले में अनियमितताओं की शिकायत पर कार्रवाई नहीं करने के लिए दर्ज किया गया. इसके अलावा उनसे उस प्रस्ताव के बारे में भी पूछताछ की गई जिसे उन्होंने डीजीपी कार्यालय को भेजा था, उस प्रस्ताव में घाटकोपर की होर्डिंग को रेग्युलराइज करने को कहा गया था.
सूत्रों ने बताया कि शिसवे ने इसके आगे अपने बयान में क्या कहा, इसका खुलासा नहीं किया, क्योंकि वे सरकारी अधिकारियों की भूमिकाओं की भी जांच कर रहे हैं.
चार्जशीट में पूर्व कमिश्नर खालिद और आरोपी भव्येश भिंडे के बीच बातचीत का भी जिक्र है. चार्जशीट के अनुसार, आरोपी जानवी मराठे, जो कंपनी की पूर्व निदेशक थीं जब 2020-2022 के बीच होर्डिंग के लिए मंजूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया चल रही थी, उन्होंने घाटकोपर होर्डिंग के संबंध में तत्कालीन जीआरपी आयुक्त रविंद्र सेंगावकर से मुलाकात की. सेंगावकर ने सही ढंग से बताया कि होर्डिंग के लिए बीएमसी की अनुमति की आवश्यकता है क्योंकि जमीन राज्य सरकार की है. यह शर्त रेलवे द्वारा जारी किए गए टेंडर में भी उल्लेखित थी.
चार्जशीट के अनुसार, जब सेंगावकर का तबादला हुआ, तो खालिद को जीआरपी आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया. चार्जशीट के मुताबिक आरोपी भिंडे, खालिद के परिचित थे. "खालिद ने जिस दिन चार्ज लिया उसी दिन भिंडे ने खालिद के कार्यालय में जाकर उनसे मुलाकात की. उस समय, आरोपी मराठे भी उनके साथ थीं.
चार्जशीट में आगे लिखा है कि, कैसर खालिद ने भिंडे से पूछा, "तुमको होर्डिंग का कॉन्ट्रैक्ट मिला है, तो भी तुम काम क्यों चालू नहीं कर रहे हो?" भिंडे ने जवाब दिया, "हमें पहले बीएमसी से अनुमति लेनी होगी. पूर्व सीपी सेंगावकर के अनुसार, बीएमसी की अनुमति के बिना हम बड़ी होर्डिंग नहीं लगा सकते. हम यह भारतीय रेलवे की जगह बताकर महानगर पालिका की बिना अनुमति होर्डिंग का काम कर सकते हैं और उसमें हम सबका फायदा हो सकता है."
जिसके बाद खालिद ने डीसीपी प्रदीप चव्हाण को सभी डॉक्युमेंट्स के साथ बुलाया. चव्हाण ने साइट से संबंधित दस्तावेजों की जांच की. खालिद ने फिर उन्हें दो कानूनी राय लेने के लिए कहा और इन कानूनी रायों के लिए फीस ईगो मीडिया ने चुकाई.
कानूनी फीडबैक प्राप्त करने के बाद, खालिद ने रेलवे के लॉ ऑफिसर, मिस्टर शिर्सथ से परामर्श किया. इस फीडबैक के आधार पर, खालिद ने निष्कर्ष निकाला कि "रेलवे पुलिस भारतीय रेलवे का हिस्सा है और बीएमसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं है."
होर्डिंग क्यों गिरा VJTI ने क्या बताया?
चार्जशीट के अनुसार, स्ट्रक्चर डिजाइन और फिटनेस सर्टिफिकेट में हेरफेर किया गया था. आरोपी भिंडे ने बड़ी होर्डिंग्स के लिए अनुमति प्राप्त की, जिसमें आवश्यक मजबूती नहीं थी. वीजेटीआई की रिपोर्ट बताती है कि होर्डिंग 49.7 किमी/घंटा की हवा सह सकती थी, जबकि 13 मई को हवा की गति 87 किमी/घंटा थी, जो इसकी क्षमता से अधिक थी.
मुंबई क्षेत्र में सभी संरचनाओं को 158.4 किमी/घंटा की हवा की गति सहने के लिए डिजाइन किया जाना चाहिए. "संरचना के गिरने का कारण नींव के डिजाइन और निर्माण की गलतियां है,"
ये भी पढ़ें
महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव: BJP, NCP और शिवसेना गदगद, उद्धव ठाकरे को भी खुशखबरी, पढ़ें फाइनल रिजल्ट