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मुंबई में किसकी इजाजत से लगी इतनी बड़ी होर्डिंग, जिसने ले ली 14 लोगों की जान, आखिर कौन जिम्मेदार?

Mumbai Hoarding Collapse: सोमवार को घाटकोपर में हुए हादसे में 14 लोगों की खबर म‍िलने के बाद से होर्डिंग लगाने वाली कंपनी का मालिक भावेश भिड़े फरार है और उसका फोन बंद है.

Mumbai Hoarding Collapse: मुंबई में सोमवार को तूफानी हवा और बारिश के कहर से घाटकोपर पूर्व में एक पेट्रोल पंप पर गिरे एक होर्डिंग ने 14 लोगों की जान ले ली, जबकि इस हादसे में 80 लोग घायल हो गए. वहीं अब इसके बाद सरकार और बीएमसी की नींद खुली और महाराष्‍ट्र सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए होर्डिंग लगाने वाली कंपनी के मालिक भावेश भ‍िड़े और जीआरपी के ख‍िलाफ गैर इरादतन हत्‍या का केस दर्ज क‍िया है.

दरअसल जिस होर्डिंग की वजह से इतने लोगों की जिंदगी खत्म हो गई, वह होर्डिंग EGO मीडिया नाम के विज्ञापन कंपनी की थी. ये होर्डिंग मुंबई के सबसे प्राइम स्पॉट पर लगाई गई थी और जिस जगह पर यह होर्डिंग लगी थी वो ईस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे है, जिसके बांए तरफ चार होर्डिंग लगी थी.  

वहीं मीडिया कंपनी के मालिक भावेश भिड़े का बैकग्राउंड साफ सुथरा नहीं है, उसके ऊपर पहले से ही कई मामले दर्ज हैं. मामले पर दर्ज यह पहला मामला नहीं है उसके ख‍िलाफ पहले भी कई क्र‍िम‍िनल केस दर्ज हैं, ज‍िसमें रेप का मामला भी शाम‍िल है. 

सोमवार को घाटकोपर में हुए हादसे में 14 लोगों की खबर म‍िलने के बाद से भावेश भिड़े फरार है और उसका फोन बंद है. विज्ञापन एजेंसी के मालिक ने 2009 में मुलुंड निर्वाचन क्षेत्र से एक न‍िर्दलीय उम्मीदवार के रूप में व‍िधानसभा का चुनाव भी लड़ा था और अपने हलफनामे में कहा था क‍ि उनके खिलाफ मुंबई नगर निगम अधिनियम और चेक बाउंस के 23 मामले दर्ज हैं. 

सूत्रों के मुताबिक भिड़े को वर्षों से होर्डिंग्स और बैनर लगाने के लिए भारतीय रेलवे और बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) से कई ठेके मिले थे. भ‍िड़े पर कई बार दोनों न‍िकायों के नियमों का उल्लंघन किया है, उन्हें और उनकी कंपनी के अन्य लोगों को पेड़ काटने के कई मामलों में भी आरोपी बनाया गया है .

होर्डिंग की जमीन किसकी?
होर्डिंग की जमीन गृह विभाग और राज्य सरकार की है, जिसे GRP के वेलफेयर के लिए दिया गया था. जिस जमीन पर होर्डिंग लगाई गई है, वह जमीन कलेक्टर और महाराष्ट्र सरकार पुलिस हाउसिंग वेलफेयर कॉर्पोरेशन के कब्जे में है. वेलफेयर की तरफ से आय के लिए BPCL से करार कर पेट्रोल पंप लीज पर दी गई थी. जिस पर पेट्रोल पंप और EGO मीडिया की तरफ से बीएमसी से अनुमति ना लेते हुए GRP से NOC लेकर चार होर्डिंग खड़ी की गई लेकिन बीएमसी से किसी भी तरह से कोई बात नहीं की गई न ही इजाजत ली गई.

होर्डिंग के लिए परमिशन किसकी?
होर्डिंग की जो जमीन थी वो GRP के अधीन थी, लेकिन बीएमसी के होर्डिंग नियमों के तहत आपको कोई भी होर्डिंग लगाने के लिए स्थानिक नगर पालिका से अनुमति लेनी पड़ती है. इस होर्डिंग के लिए GRP से NOC का पत्र लिया गया था लेकिन बीएमसी और ट्रैफिक डिपार्टमेंट से भी अनुमति लेना अनिवार्य होता है, इसलिए बीएमसी कमिश्नर भूषण गगरानी इस होर्डिंग को लगातार अवैध बता रहे हैं.

होर्डिंग लगाने के सुरक्षा नियम और संबंधित विभाग
बीएमसी के आधिकारिक डाटा के मुताबिक हर जगह पर होर्डिंग लगाने के अलग अलग नियम है. यहां हम घाटकोपर जैसे हाइवे की अगर बात करें तो, विज्ञापन बोर्ड का निचला हिस्सा फ्लाई ओवर पुल की दीवार के तटबंध से नीचे नहीं आना चाहिए.

होर्डिंग का ऊपरी किनारा फ्लाईओवर पुल की तटबंध दीवार के ऊपरी किनारे से ऊंचा नहीं होना चाहिए. हालांकि, दीवार के तटबंध के ऊपर MCGM द्वारा छूट के साथ दी गई अनुमति MMRDA / MSRDC आदि द्वारा जारी अनुबंध अवधि / निविदा अवधि की समाप्ति तक जारी रहेगी.

होर्डिंग MSRDC/MMRDA/PWD/MBPT/ मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन / मुंबई मोनो रेल कॉर्पोरेशन या किसी अन्य भूमि स्वामित्व प्राधिकरण द्वारा दी गई अनुमोदित संरचनात्मक डिजाइन के अनुसार ही लगाए जाएंगे. रोशनी के माध्यम से विज्ञापन मुंबई पुलिस की यातायात शाखा से एनओसी के अधीन दिया जा सकता है.

एजेंसी / आवेदक द्वारा बोर्ड के निर्माण के बाद एमएमआरडीए / एमएसआरडीसी अधिकारियों द्वारा इसका निरीक्षण किया जाएगा और वे प्रमाणित करेंगे कि यह विनिर्देश के अनुसार बनाया गया है और भूमि स्वामित्व प्राधिकरण सार्वजनिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हर 2 साल बाद साइट का निरीक्षण करेगा. 

फ्लाई ओवर ब्रिज के तटबंध पर लगाए गए बोर्ड की संरचना के लिए पंजीकृत संरचनात्मक इंजीनियर से संरचनात्मक स्थिरता प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जाना चाहिए. जब भूमि स्वामित्व प्राधिकरण, यानी एमएमआरडीए / एमएसआरडीसी / पीडब्ल्यूडी / एमबीपीटी / मोनो रेल कॉर्पोरेशन / मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन मौजूदा अनुबंध का विस्तार करने में विफल रहता है तो संबंधित प्राधिकरण अप्रिय घटना के साथ-साथ विषय विज्ञापन बोर्ड पर अनधिकृत प्रदर्शन के लिए उत्तरदायी होगा .

ऐड के लिए नहीं दी गई थी इजाजत
होर्डिंग को स्काई-वॉक/फुट-ओवर ब्रिज के फर्श के स्तर से एक मीटर की दूरी पर लगाया जाएगा और विज्ञापन बोर्ड का ऊपरी किनारा स्काई-वॉक/फुट-ओवर ब्रिज की दीवार के तटबंध से अधिक ऊंचा नहीं होगा और एक समान रेखा बनाए रखी जाएगी. हालांकि, तटबंध के ऊपर विज्ञापन प्रदर्शित करने के लिए मौजूदा अनुमति दी गई है.

स्काई-वॉक और फुटओवर ब्रिज के खंभों और किनारों पर प्रबुद्ध बोर्ड के माध्यम से विज्ञापन की अनुमति दी जा सकती है, बशर्ते मुंबई पुलिस की ट्रैफिक शाखा से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त हो. विज्ञापन बोर्ड संबंधित सरकारी या अर्ध-सरकारी या स्थानीय या किसी अन्य भूमि स्वामित्व वाले प्राधिकरण द्वारा दिए गए संरचनात्मक डिजाइन के अनुसार ही लगाए जाएंगे.

विज्ञापनदाता द्वारा होर्डिंग लगाए जाने के बाद, निविदा जारी करने वाली एजेंसी के संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों जैसे एमएमआरडीए / एमएसआरडीसी / पीडब्ल्यूडी / एमबीपीटी / मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन / मुंबई मोनो रेल कॉर्पोरेशन द्वारा इसका निरीक्षण किया जाएगा और वे प्रमाणित करेंगे कि विज्ञापन बोर्ड चित्र और विनिर्देशों के अनुसार लगाए गए हैं. निविदा देने वाले प्राधिकरण के अधिकारी सार्वजनिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हर 2 साल में साइट का निरीक्षण करेंगे.

होर्डिंग का सुरक्षा ऑडिट किसने किया?
होर्डिंग लगाने का सुरक्षा ऑडिट किसी ने नहीं किया, होर्डिंग लगाने के बाद जो होर्डिंग की अनुमति देता है जिस अधिकारी की तरफ से आखिरी हरी झंडी मिलती है उसको सुरक्षा ऑडिट हर दो साल में करना होता है. हालांकि घाटकोपर मामले में तो बीएमसी से इजाजत ही नहीं ली गई तो सुरक्षा ऑडिट का सवाल ही नहीं है क्योंकि होर्डिंग अपने नियमों को तोड़ते हुए पहले ही 40×40 की बजाय 120×120 की होर्डिंग लगाई थी .

होर्डिंग मामले पर जिम्मेदारी किसकी?
मुंबई में जब भी कोई छोटा पोस्टर या 100 फिट का होर्डिंग भी लगे जिम्मेदारी बीएमसी की होती है. दूसरी जिम्मेदारी प्रॉपर्टी के मालिक की होती है जिनकी जमीन पर होर्डिंग लगाई गई है. यहां जिम्मेदारी GRP की भी उतनी ही की उन्होंने होर्डिंग नियमों का उल्लंघन करते हुए NOC दे दी .

BMC फीस लेगी तो सुरक्षा गारंटी किसकी?
घाटकोपर होर्डिंग हादसे की बात करें तो इसमें होर्डिंग लगाने वालो ने बीएमसी से परमिशन भी नहीं ली थी तो उन्हें इस मामले में फीस नहीं मिली है, लेकिन आपको बता दें आम तौर पर मुंबई में होर्डिंग की जिम्मेदारी बीएमसी की ही होती है . 

बीएमसी से बात करने पर भी आय की जानकारी नहीं दी गई, लेकिन उपलब्ध डाटा के मुताबिक नॉन LED होर्डिंग के लिए एक महीने में 5 लाख के करीब रकम वसूली जाती है तो वहीं LED होर्डिंग के लिए रकम दुगनी होती है . सुरक्षा की बात करें तो बीएमसी के जिस वार्ड में होर्डिंग की जगह मौजूद है उस जगह के अधिकारी और जिसने अनुमति दी है उस अधिकारी को हर दो साल में होर्डिंग वाली जगह का ऑडिट करना होता है .

जब पेट्रोल पंप के पास होर्डिंग की इजाजत नहीं तो फीस क्यों?
घाटकोपर होर्डिंग मामले में बीएमसी को कोई फीस नहीं मिली है क्योंकि आरोपी विज्ञापन कंपनी कभी बीएमसी के पास अनुमति के लिए आई ही नहीं. ऐसे में पेट्रोल पंप के पास होर्डिंग लगाना गैर कानूनी नहीं है उसके लिए कानून के तहत सही नियम मानना जरूरी हैं. 

ऐसे में पेट्रोल पम्प के ठीक बगल में आप होर्डिंग नहीं लगा सकते आपको 50 मीटर की दूरी पर लगाना होता है, होर्डिंग का मुख्य हिस्सा पेट्रोल पंप के रास्ते पर नहीं पीछे की तरफ होना चाहिए . बीएमसी के नियमों के अनुसार, होर्डिंग लगाने वाली किसी भी एजेंसी को पैनल में शामिल सलाहकारों से स्थिरता प्रमाणपत्र प्रदान करना होगा. ऐसा प्रमाणपत्र हर दो साल में प्रदान किया जाना चाहिए. साथ ही, होर्डिंग के बीच कम से कम 70 मीटर का अंतर होना चाहिए. बीएमसी को होर्डिंग लाइसेंस फीस से सालाना करीब 100 करोड़ रुपये की कमाई होती है बीएमसी के अधिकार क्षेत्र में करीब 1,025 होर्डिंग हैं.

उसी जमीन पर 3 और होर्डिंग
उसी जमीन पर तीन और 120 फिट से ज्यादा के कई टन लोहे के होर्डिंग लगे हैं, जिनको नियमों के तहत निकालने का काम बीएमसी ने शुरू कर दिया. इस बात की जानकारी खुद बीएमसी कमिश्नर भूषण गगरानी ने दी है. यह बाकी के होर्डिंग आप देखें तो उसके नीचे भी ego मीडिया का नाम लिखा है जिसे GRP लैंड पर भावेश भिड़े की कंपनी ने ही खड़े किया है.

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