Mumbai News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक 16 वर्षीय नाबालिग लड़की की मांग ठुकराते हुए बड़ा फैसला लिया है. दरअसल, 16 वर्षीय नाबालिग अपने पिता को लीवर का एक हिस्सा दान करना चाहती थी. इसके लिए उसने बॉम्बे हाईकोर्ट में अर्जी डाली जिससे उसे इसके लिए इजाजत मिल सके. पर अदालत ने नाबालिग के लीवर के एक हिस्से को दान करने की अनुमति देने का आदेश पारित करने से इंकार कर दिया. इस मामले की सुनवाई जस्टिस एके मेनन और जस्टिस एनआर बोरकर की अवकाशकालीन पीठ कर रही थी.


पिता ने स्वयं ली है समस्या
इस महीने के शुरूआत में आए इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एके मेनन और जस्टिस एनआर बोरकर ने कहा कि नाबालिग द्वारा की गई प्राथर्ना स्वीकार करने लायक नहीं है. नाबालिग के पिता लीवर सिरोसिस से पीड़ित है. उसके पिता एक शराबी हैं. सरकार की प्राधिकरन सीमित ने भी लड़की यह कहते हुए मंजूरी देने से इंकार कर दिया था कि वह भावनात्मक दवाब में अस्तित्व से इंकार नहीं कर सकती है यो पुष्टि नहीं कर सकती है.


कोर्ट ने नहीं दी इजाजत
शुक्रवार को हुए इस मामले की सुनवाई में नाबालिग की वकील तपन थट्टे ने कोर्ट को बताया की लीवर को दोबारा बनाया जा सकता है. हालांकि जस्टिस मेनन ने कहा कि आप नाबालिग को खतरे में नहीं डाल सकते. उसके पिता ने अपनी समस्या खुद ली है. अदालत ने इसे देखते हुए कोई भी आदेश पारित करने से इंकार कर दिया और इस मामले को जून में आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया.  


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