Mumbai News: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के छात्र उमर खालिद ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को बताया है कि एल्गार परिषद कार्यक्रम में उनके भाषण के लिए उन्हें किसी ने पहले से लिखा लिखाया भाषण नहीं दिया था. जिसके कारण पुणे के भीमा-कोरेगांव में हिंसा कथित तौर पर हुई थी. खालिद 31 दिसंबर, 2017 को पुणे(Pune) के शनिवार वाड़ा में भीमा-कोरेगांव(Bhima Koreganv) की लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए थे. खालिद के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराने वाले पुणे के एक निवासी ने दावा किया कि जेएनयू के छात्र ने कार्यक्रम में "भड़काऊ" भाषण दिया था और उसकी टिप्पणी का उद्देश्य समुदायों के बीच वैमनस्य और दरार पैदा करना था.
भड़काऊ भाषण देने पर खालिद के खिलाफ प्राथमिकी हुई थी दर्ज
1 जनवरी 2018 को भीमा-कोरेगांव में हिंसा हुई. कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के लिए खालिद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. लेकिन खालिद को एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में कभी भी आरोपी नहीं बनाया गया. जिसकी जांच एनआईए कर रही है. जांच एजेंसी को दिए अपने बयान में, खालिद ने कहा कि उन्हें कार्यक्रम के आयोजकों में से एक न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी जी कोलसे-पाटिल द्वारा आमंत्रित किया गया था. खालिद का बयान एनआईए द्वारा हाल ही में विशेष अदालत के समक्ष "अतिरिक्त सबूत" के रूप में प्रस्तुत दस्तावेजों का हिस्सा था.
यात्रा के दौरान कोलसे पाटिल के घर गए था उमर खालिद
खालिद ने कहा, ‘‘पुणे की यात्रा के दौरान, मैं न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) कोलसे पाटिल के घर पर रहा. मुझे याद नहीं है कि मेरे लिए विमान की उड़ान की टिकट की व्यवस्था किसने की थी. मैं किसी भी स्थान पर अपना भाषण देने से पहले किसी भी ज्ञात व्यक्ति से स्थानीय ज्ञान लेता हूं. एल्गार परिषद की बैठक के लिए किसी ने मुझे लिखा लिखाया भाषण नहीं दिया था.’’
उन्होंने कहा कि एल्गार परिषद कार्यक्रम में मंच पर कई लोग मौजूद थे और इसका एक वीडियो उनके भाषण के साथ यूट्यूब पर भी देखा जा सकता है. खालिद ने कहा कि कार्यक्रम खत्म होने के बाद वह सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति कोलसे-पाटिल के घर गया था. बयान में खालिद के हवाले से कहा गया, ‘‘अगले दिन, कई मीडियाकर्मी उनके घर आए. मैंने एक मीडियाकर्मी को भी एक बयान दिया था. उस वक्त न्यायमूर्ति कोलसे पाटिल के घर में एल्गार परिषद की बैठक से जुड़े कई लोग मौजूद थे. पूर्वाह्न करीब 11 बजे मुझे पता चला कि भाजपा और आरएसएस के लोगों ने भीमा कोरेगांव आने वाले लोगों पर हमला किया है.’’खालिद ने एनआईए को यह भी बताया कि वह एल्गार परिषद मामले के एक आरोपी रोना विल्सन को जानता था, क्योंकि वह एक भाषण देने के लिए जेएनयू आई थी, और वह एक अन्य आरोपी अरुण फरेरा को भी जानता था क्योंकि वह उनकी पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में शामिल हुआ था.
फादर स्टेन की पिछले साल हुई थी मौत
खालिद के बयान के अलावा, "अतिरिक्त सबूत" में फादर स्टेन स्वामी द्वारा स्थापित संगठन बगाइचा में आयोजित कार्यक्रमों और बैठकों का विवरण है. एल्गार परिषद माओवादी संबंध मामले के एक आरोपी स्वामी की पिछले साल जुलाई में मृत्यु हो गई थी.एनआईए ने अपने नवीनतम दस्तावेजों में जेवियर सोरेंग और डेविड सोलोमन के बयान भी प्रस्तुत किए हैं, दोनों को स्वामी के बहुत करीबी बताया गया है. दोनों बगाइचा की प्रबंधन टीम का हिस्सा थे.बयान में, दोनों ने दावा किया है कि बगाइचा के परिसर का इस्तेमाल कई संगठनों ने अपने प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए किया था. यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के शनिवार वाडा में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है, जिसके बारे में पुलिस ने दावा किया कि शहर के बाहरी इलाके में स्थित कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास अगले दिन हिंसा हुई.पुणे पुलिस ने दावा किया था कि कॉन्क्लेव को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था. मामले की जांच बाद में एनआईए को सौंप दी गई थी.
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