POCSP ACT: मुंबई के पुलिस कमिश्नर संजय पांडे ने अधिकारियों को बड़ा निर्देश जारी किया है. निर्देश में कहा गया है कि यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत छेड़छाड़ और अपराधों के मामले केवल एसीपी की सिफारिश और डीसीपी की अनुमति पर दर्ज किए जाने चाहिए. 


ऐसे झूठे मामले दर्ज किए जाते हैं
पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि कमिश्नर ने उन मामलों के मद्देनजर आदेश जारी किया जहां व्यक्तिगत प्रतिद्वंद्विता या प्रॉपर्टी, पैसे के मामलों और व्यक्तिगत मुद्दों पर विवाद के कारण झूठे मामले दर्ज किए जाते हैं. सोमवार को जारी निर्देश में कहा गया है कि ऐसे कई मामलों में बिना तथ्यों की जांच के आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाता है और बाद में शिकायत फर्जी पाई जाती है.


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व्यक्ति की प्रतिष्ठा खराब हो जाती है
कमिश्नर संजय पांडे ने आदेश में कहा कि आरोपी व्यक्ति की प्रतिष्ठा बिना किसी कारण के खराब हो जाती है, भले ही वह आखिर में बरी हो जाए. इससे बचने के लिए पुलिस अधिकारियों को जोनल डीसीपी की सिफारिश और जोनल डिप्टी कमिश्नर की अनुमति से ही छेड़छाड़ या पॉक्सो एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया है. 


सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला
इसमें कहा गया है कि अनुमति देते समय डीसीपी को ललिता कुमारी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करना चाहिए. बता दें कि 2013 'ललिता कुमारी बनाम यूपी सरकार और अन्य' मामले में, सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने दिशानिर्देश निर्धारित किए थे कि प्राथमिकी का पंजीकरण कब अनिवार्य है.


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