टोरेस स्कैम के बाद मनीएज पोंजी स्कैम, दो गिरफ्तार, हाई रिटर्न का वादा कर ठगी का खेल
Mumbai News: मुंबई EOW ने मनीएज समूह की कंपनियों पर निवेशकों को धोखा देने का मामला दर्ज किया है. आरोपी कंपनियों ने ऊंचे रिटर्न का वादा कर निवेशकों से 2.80 करोड़ रुपये जमा किए, लेकिन भुगतान नहीं किया.
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MoneyEdge Group: मुंबई पुलिस की EOW ने इन्वेस्टर्स के पैसों की कथित धोखाधड़ी और हेराफेरी के लिए मनीएज ग्रुप ऑफ कंपनीज और उससे जुड़ी संस्थाओं के खिलाफ मामला दर्ज कर दो पार्टनर्स को गिरफ्तार किया है. आरोपी इन्वेस्टर्स को कंपनी की अलग अलग स्कीम में इन्वेस्ट करने पर हाई रिटर्न का वादा करते थे और कथित रूप से ठगते थे.
गिरफ्तार आरोपियों के नाम हरिप्रसाद वेणुगोपाल और प्रणव रावराणे है. इस मामले में शिकायतकर्ता राहुल पोद्दार और अन्य इन्वेस्टर्स ने कंपनी के डायरेक्टर्स पर 24% सालाना रिटर्न का वादा करके उन्हें ठगने का आरोप लगाया है.
शिकायत में कही गई यह बात
शिकायत के अनुसार, मनीएज ग्रुप ऑफ कंपनीज ने अपनी चार सहायक कंपनियों- मनीएज इन्वेस्टमेंट्स, मनीएज फिनकॉर्प, मनीएज रियल्टर्स और मनीएज कैपिटल सर्विसेज के माध्यम से जनवरी 2022 से मई 2024 के बीच 2.80 करोड़ रुपये का निवेश इकट्ठा किया. कंपनी ने हाई रिटर्न देने का वादा किया, लेकिन अक्टूबर 2024 के बाद वादा किए गए रिटर्न का भुगतान करना बंद कर दिया.
जिसके बाद शिकायतकर्ताओं ने कंपनी के डायरेक्टर- राजीव जाधव, हरिप्रसाद वेणुगोपाल, प्रणव रावराने और प्रिया प्रभु से संपर्क किया, पर डायरेक्टर ने बराबर जवाब ही नही दिया. इसके बाद शिकायतकर्ता ने अक्टूबर 2024 में EOW का रुख किया हर शिकायत दर्ज कराई गई.
जांच में यह बात आई सामने
एक अधिकारी ने बताया कि जांच में पता चला कि मनीएज ग्रुप ने सेबी के नियमों का उल्लंघन किया और इन्वेस्टर्स के पैसों का गलत इस्तेमाल किया. शुरुआती जांच में यह भी पता चला है कि इस कंपनी में 3,000 से अधिक निवेशकों ने कंपनी के प्रोजेक्ट में 100 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है.
रिटर्न का वादा कर इन्वेस्टर को लुभाया
सूत्रों ने दावा किया कि कंपनी की 2013 स्टेबलिश हुई थी और इसने 24% सालाना रिटर्न का वादा कर इन्वेस्टर को लुभाना शुरू किया था. शुरुआत में, इसने वादा किए गए रिटर्न का 2% प्रति महीने दिया गया, लेकिन आगे चलकर भुगतान बंद हो गया, जिससे शिकायतें हुईं.
जांच में यह भी पता चला कि कंपनी का फाउंडर राजीव जाधव पहले एक बैंक में काम करता था तो प्रिया प्रभु की पोस्ट ऑफिस में नौकरी करती थी जहां से उसने वीआरएस लिया था.
एक अधिकारी ने बताया कि इस कंपनी की करीब 10-12 ब्रांच है. पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेस (PMS) और सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) चलती लेकिन कंपनी के पास SEBI की परमिशन ही नहीं है. मामले में आगे को जांच की जा रही है.
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