Mumbai Air Polluion: पिछले दो दिनों में तापमान बढ़ने के साथ, मुंबईकर भले ही बेहतर सांस ले रहे हों, लेकिन स्विस एयर ट्रैकिंग इंडेक्स IQAir (एक वास्तविक समय अंतरराष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मॉनिटर) के अनुसार, दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर की सूचि में 29 जनवरी से 8 फरवरी के बीच एक सप्ताह के भीतर, मुंबई दूसरे स्थान पर था. 29 जनवरी को, IQAir रैंकिंग में मुंबई 10वें स्थान पर था. बाद में मुंबई 2 फरवरी और आठ फरवरी को दुसरे स्थान पर रहा. 13 फरवरी को, वायु गुणवत्ता के मामले में मुंबई दुनिया में सबसे प्रदूषित शहरों में तीसरे नंबर पर रहा, यहां तक कि दिल्ली को भी पीछे छोड़ दिया जो भारत का सबसे प्रदूषित शहर था.


लोगों में सामने आए रहे सांस सम्बंधित समस्या
सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर-जनवरी में मुंबई में खराब और बहुत खराब दिन पिछली तीन सर्दियों की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा थे. विशेषज्ञों का कहना है कि गिरावट मुख्य रूप से वाहनों, सड़कों और निर्माण गतिविधियों से लगातार निकलने वाली धूल और धुएं के कारण है. शहर में अब सांस की बीमारियों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है.


क्या कहते हैं डॉक्टर?
दो दशक पहले, कार्डियक सर्जन डॉ. ओ एच जायसवाल को कभी-कभी फेफड़ों पर काले धब्बे दिखाई देते थे. आज, वह कहते हैं कि यह खतरनाक रूप से सामान्य है. जायसवाल ने कहा, "हृदय की सर्जरी के दौरान, हम नियमित रूप से वायु प्रदूषण से प्रभावित फेफड़ों का सामना करते हैं - हम धूम्रपान न करने वालों में भी अक्सर काले फेफड़े या धब्बे वाले फेफड़े देखते हैं."


NEERI और IIT-B के 2020 के एक अध्ययन के अनुसार, सड़क या निर्माण की धूल मुंबई की हवा में 71 फीसदी से अधिक पार्टिकुलेट मैटर लोड का स्रोत है. शेष औद्योगिक और बिजली इकाइयों, हवाई अड्डे और कचरे के ढेर से आता है.


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