Safety during Rain: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन परिसर में भारी बारिश के बाद गलती से बिजली के तार को छूने के बाद करंट लगने से 34 वर्षीय एक महिला की मौत हो गई है, बारिश से प्रभावित इस क्षेत्र में खुले तारों, विद्युत लाइनों, वितरण बिंदु (डीपी) पैनलों और खंभों के अपर्याप्त रखरखाव के कारण आम नागरिकों का जीवन लगातार खतरे में है. महीने की शुरुआत में, सांताक्रूज़ (पूर्व) में एक छह वर्षीय लड़की, तेहरीन इफ्तेखार की बिजली के झटके से मौत हो गई थी, और दो अन्य बच्चे घायल हो गए थे. स्ट्रीटलाइट पोल से खुले तार के कारण करंट फैल गया था.


सामने आ चुके हैं कई मामले
TOI में छपी एक खबर के अनुसार, कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसे ज्यादातर मामलों में, बिजली का तार हमेशा बारिश के पानी के संपर्क में रहता है जिससे करंट लगने का खतरा रहता है. “काजुपाड़ा, साकी नाका में एक और हालिया मामले पर नजर डालें तो डेढ़ माह से वहां की बिजली कंपनी ने भूमिगत केबल तो बिछा दी है, लेकिन उन्हें ठीक से कवर नहीं किया है. परिणामस्वरूप, अगर मानसून के दौरान जलजमाव होता है, तो आसपास के लोगों, विशेषकर झुग्गी-झोपड़ियों के निवासियों को बिजली का झटका लगने का खतरा होता है.” 


नागरिक अधिकार कार्यकर्ता बोले
निखिल देसाई ने कहा, वडाला में जंक्शन बॉक्स हैं जहां से कवर गायब हैं, तार निकले हुए हैं. पुलिस को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. ठाणे के बिजली विशेषज्ञ अशोक पेंडसे के अनुसार, जब मानव जीवन और जानवरों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की बात आती है, तो उपभोक्ता संतुष्टि की कमी देखी जाती है. एक घटना के बारे में बताये हुए उन्होंने कहा, ये रबाले के 12 वर्षीय हिमांक का मामला है. 2019 में, जब वह आठ साल का था, तो वह 15 मंजिला इमारत के पास हाई-टेंशन केबल के संपर्क में आ गया था. जहां वह गंभीर रूप से घायल हो गया, वहीं उसके तीन दोस्त मामूली रूप से झुलस गए थे.


दूसरा मामला अक्टूबर 2018 का है. पहली कक्षा के छात्र साई वाडकर स्कूल से अपने घर सिम्प्लेक्स कॉलोनी, घनसोली लौटते समय डीपी बॉक्स में चिंगारी के कारण झुलस गए. उनके परिवार को अभी तक उनके मेडिकल बिलों का मुआवजा नहीं मिला है.


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