Maharashtra Politics: महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के गिरने के लगभग तीन महीने बाद शिवसेना के पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे पिछले कई हफ्तों से रैलियों और जनसभाओं की एक सीरीज के माध्यम से जनसंपर्क अभियान पर हैं. सत्तारूढ़ गठबंधन की सहयोगी भारतीय जनता पार्टी ने अनजाने में आदित्य ठाकरे को 'बेबी पेंग्विन' उपनाम दिया था. इसी का जवाब देने के लिए आदित्य न केवल राजनीतिक पंख, बल्कि नुकील पंजों के साथ गरुड़ की तरह राजनीति की आसमानों में उड़ान भरने की कोशिश कर रहे हैं. उनकी रैलियों-बैठकों में ज्यादातर विद्रोहियों के निर्वाचन क्षेत्रों में अच्छी-खासी भीड़ जुटती है.


बागियों को आदित्य ने करार दिया गद्दार


पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-कांग्रेस एमवीए सरकार के गिराए जाने के बाद आदित्य ने एक जिले से दूसरे जिले में जाकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को कड़ी चुनौती दी. सितंबर के अंत से शुरू होने वाले अपने पिता के राजनीतिक दौरे के लिए जमीन तैयार करते हुए आदित्य ने एकनाथ शिंदे और उनके अन्य विधायकों पर जमकर निशाना साधा, जिन्होंने 29 जून को एमवीए का साथ छोड़ दिया. उन्होंने कहा, बड़े पैमाने पर शिंदे समूह के कुछ 'गद्दार' शामिल हैं, जो विशेष रूप से गालियां देते हैं, धमकी देते हैं या पागल हो जाते हैं.


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आदित्य ने फडणवीस पर भी कसा तंज


शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व के रक्षक के रूप में खुद को ढालने वाले विद्रोहियों के लिए चुनाव अचानक एक डरावना शब्द बन गया है, जबकि उद्धव ठाकरे पर नवंबर 2019 में मुख्यमंत्री बनने के लिए एनसीपी-कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने का दवाब बनाया गया. आदित्य ने फडणवीस पर तंज कसते हुए कहा, "मैंने इस्तीफा दे दिया होता अगर मैं ऐसे 40 (बागी विधायकों), या शिवसेना के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता रामदास कदम के साथ होता. यह घोषणा करते हुए हां, मैं 32 साल का हूं, लेकिन कभी किसी का अपमान या पीठ में छुरा नहीं घोंपा."


शिंदे सरकार पर आदित्य का हमला


जनता का विश्वास हासिल करने के लिए संघर्ष करते हुए विद्रोहियों ने ठाकरे, एमवीए के शीर्ष नेताओं के खिलाफ जहर उगला. अपनी कई रैलियों में आदित्य ने खुलकर स्थानीय बागी विधायकों/मंत्रियों का नाम जोर-जोर से लिया. उन्होंने रत्नागिरि में कहा, "कौन है (उद्योग मंत्री) उदय सामंत", इस पर भीड़ ने नारा लगाया, "गद्दार, गद्दार!" आदित्य ने विभिन्न मुद्दों पर शिंदे-फडणवीस सरकार की आलोचना की और कहा कि वरिष्ठ विधायकों या निर्दलीय और छोटे दलों को कैबिनेट बर्थ नहीं देकर दरकिनार कर दिया गया.


उन्होंने कहा कि कुछ असंतुष्ट मंत्रियों ने अपने मंत्रालयों के बंगलों पर कब्जा करने के बावजूद अपने विभागों का प्रभार नहीं लिया है, कैसे कुछ मंत्री बड़े सौदों पर ध्यान नहीं देते, केवल 'खोकों' की चिंता करते हैं.


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